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भाजपा ने इन चुनावों में पुरी ताकत झोंक दी
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मेघालय और नगालैंड भी भाजपा के लिए महत्वपूर्ण
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त्रिपुरा में औसत से अधिक मतदान से बढ़ा है टेंशन
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी:पिछले करीब नौ वर्ष में भाजपा पूर्वोत्तर में सबसे बड़ी सियासी ताकत के रूप में उभरी है। यहां के दो सबसे अहम राज्यों असम और त्रिपुरा में पार्टी की अपने बल पर सरकार है, जबकि अन्य सभी राज्यों में पार्टी की सरकार में सहयोगी की भूमिका है।
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में चुनावी बिगुल के साथ ही तीनों राज्यों में भाजपा की अग्निपरीक्षा होगी। पार्टी इसके लिए काफी पहले से ही रणनीति बना रही है। इन राज्यों में से त्रिपुरा में भाजपा की अपने दम पर सरकार है तो मेघालय और नगालैंड में पार्टी सरकार में सहयोगी है।
ऐसे में इन राज्यों के चुनावी नतीजे भाजपा के मिशन-2024 की तैयारी की सही तस्वीर पेश करेंगे।त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड, ये पूर्वोत्तर (नॉर्थईस्ट) के वो तीन राज्य हैं जहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार 16 फरवरी को मतदान शाम 4 बजेबंद हो गया।
त्रिपुरा में 81.10 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। इसके अलावा, 27 फरवरी को अब मेघालय और नागालैंड में चुनाव होने हैं। लेकिन इस चुनावों में कांग्रेस के बड़े चेहरे गायब दिख रहे हैं।
देश की सबसे पुरानी पार्टी पूर्वोत्तर में किसी भी राज्य में सत्ता में नहीं है। 2018 में, त्रिपुरा में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। उसी वर्ष, अपने पास बचे एकमात्र राज्य मिजोरम में सत्ता गंवाने के बाद पूरा पूर्वोत्तर कांग्रेस-मुक्त बन गया।
इस साल के त्रिपुरा चुनावों में त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है, जिसमें कांग्रेस-सीपीएम गठबंधन में लड़ रहे हैं और तृणमूल कांग्रेस भी कई सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है।
क्षेत्रीय दलों का गठबंधन टिपरा मोथा मौजूदा चुनाव में किंगमेकर बन सकता है। यह त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में किंगमेकर के रूप में उभर सकता है। कांग्रेस त्रिपुरा में केवल 13 सीटों पर लड़ रही है।राहुल ही नहीं, खड़गे भी प्रचार से दूर जाता है।
हालांकि कांग्रेस आलाकमान इस पूरे सीन से गायब नजर आ रहा है। इसके बड़े नेता प्रचार अभियान से दूर रहे। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इन चुनावों में पुरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह सहित तमाम नेता पूर्वोत्तर के दौरे कर रहे है।
अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव के लिए भी पूर्वोत्तर काफी अहम है। पूर्वोत्तर में 25 लोकसभा सीटें हैं। भाजपा को चुनौती देनी है तो कांग्रेस को हर एक सीट पर अपनी मौजूदगी जाहिर करनी पड़ेगी। एक कांग्रेसी नेता ने कहा कि इन चुनावों में गांधी परिवार की उपस्थिति या अनुपस्थिति से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
त्रिपुरा में सीपीआई (एम) मुख्य रूप से मैदान में है। नागालैंड में कांग्रेस बहुत बुरी स्थिति में, जहां उसने 2018 में भी कोई सीट नहीं जीती थी। हालांकि इस बार वह 60 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन उसके दो-तीन से ज्यादा जीतने की उम्मीद नहीं है।
मेघालय में कांग्रेस 2018 तक सत्ता में थी, और उस चुनाव के बाद भी यह सबसे बड़ी पार्टी थी। लेकिन एनपीपी सरकार बनाने में कामयाब रही। फिर, 2021 में, इसके अंतिम मुख्यमंत्री मुकुल संगमा, लगभग एक दर्जन पार्टी विधायकों के साथ तृणमूल कांग्रेस में चले गए है।
मेघालय में एनपीपी और नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की सरकार है। चूंकि, भाजपा इन दोनों ही राज्यों में सरकार की सहयोगी है। ऐसे में इन राज्यों के नतीजे भी भाजपा के लिए बेहद अहम साबित होंगे।