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नईदिल्लीः दिल्ली के आबकारी घोटाले की जांच अभी चल ही रही है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक और मामले में जांच की अनुमति प्रदान कर दी है। यह फैसला तब आया जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली के मेयर का चुनाव होने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट का जैसा आदेश है, उसका पालन होने की स्थिति में दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मेयर और डिप्टी मेयर की जीत सुनिश्चित है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आते ही सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को आबकारी घोटाला में पूछताछ के लिए बुलाया था। अपने दूसरे कार्यों में व्यस्त रहने की वजह से सिसोदिया ने दूसरा दिन तय करने की सूचना सीबीआई को दी थी। अब मेयर चुनाव के ठीक पहले जासूसी कांड की जांच की स्वीकृति आ गयी है।
इससे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। ताजा मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फीडबैक यूनिट से विपक्षी दलों की कथित जासूसी कराने के मामले में मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है।
इससे पहले दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई के अनुरोध को मंजूरी दी थी और इसे गृह मंत्रालय को भेज दिया था। सीबीआई ने सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मंजूरी मांगी थी, जो दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के प्रमुख हैं, जिसके तहत आम आदमी पार्टी सरकार ने 2015 में गुप्त रूप से विभिन्न मंत्रालयों, विपक्षी राजनीतिक दलों की जासूसी करने के लिए एक फीडबैक यूनिट बनाई थी।
वहीं, इस मामले पर आम आदमी पार्टी ने भाजपा के आरोपों को झूठ का पुलिंदा बताया है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि अपने प्रतिद्वंदियों को झूठे केस में फंसाना कमजोर और कायर इंसान की निशानी है।
बता दें कि वर्ष 2015 में सत्ता में आने के बाद दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने एक फीडबैक यूनिट का गठन किया था। इसका मकसद सभी विभागों के काम पर नजर रखना था। इसे बनाने के पीछे केजरीवाल सरकार ने तर्क दिया था कि वो विभागों के भ्रष्टाचार पर नजर रखना चाहते हैं। हालांकि, बाद में दिल्ली सरकार पर इस यनिट से विपक्षी दलों की जासूसी कराने का आरोप लगा है।