-
माकपा-कांग्रेस गठबंधन पर शाह का हमला
-
पहले इलाका आतंकवादियों के चंगुल में था
-
वामपंथियों को वोट दिया तो फिर से हिंसा
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी: त्रिपुरा में सत्ता में वापसी के लिए भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंक रही है।त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में सभी दल अपनी-अपनी रणनीति पर काम शुरू कर चुके हैं। भाजपा के दिग्गज नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज यानी सोमवार (6 फरवरी) को दक्षिण त्रिपुरा जिले के सांतिर बाजार में एक जनसभा को संबोधित किया।
अमित शाह ने सोमवार को दो रैलियों को संबोधित किया है। इस दौरान अमित शाह ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला।केंद्रीय गृहमंत्री के निशाने पर कांग्रेस और लेफ्ट के अलावा त्रिपुरा के शाही वंशज प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा के नेतृत्व वाली टिपरा मोथा पार्टी भी रही। शाह ने टिपरा मोथा पर आरोप लगाया कि उसका कांग्रेस और माकपा के साथ गुप्त समझौता हो चुका है।
माकपा-कांग्रेस गठबंधन पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा, कम्युनिस्टों के शासनकाल में त्रिपुरा को अंधकार मिला था लेकिन भाजपा ने राज्य के लोगों को अधिकार दिया। अमित शाह ने कहा, दोनों दलों ने कभी भी जनजातियों का सम्मान नहीं किया। इन दोनों दलों ने 50 साल तक त्रिपुरा पर शासन किया, फिर भी उसका विकास नहीं हुआ।
अमित शाह ने कहा वामपंथियों को वोट देने का मतलब, त्रिपुरा में फिर से हिंसा का शासन स्थापित करना।शाह ने यह भी दावा किया कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने वर्षों की उपेक्षा को समाप्त कर पूर्वोत्तर का विकास सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा, पिछले पांच वर्षों में भारतीय जनता पार्टी के दो मुख्यमंत्रियों ने त्रिपुरा की सुरक्षा सुनिश्चित की है, जो पहले सीमा पार से घुसपैठ और उग्रवाद से पीड़ित था।
शाह ने कहा, “भाजपा ने राज्य में कैडर राज्य समाप्त करके संविधान का राज बनाने का प्रयास किया है। टोलाबाजी कल्चर हमने समाप्त कर दिया है। हाइवे, इंटरनेट, रेलवे और एयरपोर्ट के जरिए त्रिपुरा को विकसित राज्य बनाने की दिशा में भाजपा आगे बढ़ी है। उन्होंने कहा, पूरा नॉर्थ ईस्ट पहले उग्रवादी संगठनों के बम धमाकों से जूझता था, पर आज उनकी जगह रेलवे और हवाई जहाज की आवाज आती है।
बता दें कि त्रिपुरा के आदिवासियों के लिए अलग राज्य ग्रेटर टिपरालैंड की मांग को लेकर प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने टिपरा मोथा पार्टी का गठन किया है और अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। राज्य की 60 में से 42 सीटों पर टिपरा मोथा चुनाव लड़ेगी। त्रिपुरा में लगभग 20 आदिवासी बहुल सीटें हैं और ये पूर्वोत्तर राज्य में सत्ता की कुंजी हैं। इसलिए टिपरा मोथा किंगमेकर की भूमिका में उभर सकती है।