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इंतांकी नेशनल पार्क में दोनों पक्षों का आमना सामना
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गश्त पर निकले जवान भटक कर अन्यत्र चले गये
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नगालैंड में चुनाव की तारीख का हो चुका है एलान
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी: नगालैंड में उग्रवादियों ने असम राइफल्स के 31 जवानों को हिरासत में लेने के बाद छोड़ा। असम राइफल्स के जवानों पर एनएससीएन-आईएम के कब्जे वाले क्षेत्र में प्रवेश करने का आरोप लगाया गया था। बताया गया कि नियमित पेट्रोलिंग के दौरान सेना के जवानों का ध्यान भटक गया और वे सुदूर इलाके में घुस गए।
एक आधिकारिक सूत्र ने आज यहां बताया कि नगालैंड के इंतांकी नेशनल पार्क में असम राइफल्स की पेट्रोलिंग टीम और नगा विद्रोही संगठन एनएससीएन (इसाक मुइवा) के जवानों में झड़प हुई।भारतीय सेना के अधिकारी और उग्रवादियों के बीच कुछ बात चीत हो रही है। बताया जा रहा है कि 25वीं असम राइफल्स के 31 जवानों को नगा उग्रवादियों ने बंदी बना लिया था।
उल्लेख करें कि नगालैंड में विधानसभा चुनाव की तारीख का एलान हो चुका है और राज्य में चुनाव सरगर्मी तेज हो गई है। इसी बीच नगालैंड के जंगल में असम राइफल्स और नगा विद्रोहियों के बीच मामूली झड़प की खबर है। सेना से जुड़े सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आई है।
खबर के अनुसार, शुक्रवार को नगालैंड के इंतांकी नेशनल पार्क में असम राइफल्स की पेट्रोलिंग टीम और नगा विद्रोही संगठन एनएससीएन (इसाक मुइवा) के जवानों में झड़प हो गई थी। गनीमत रही कि मामला ज्यादा नहीं बढ़ा। बता दें कि असम राइफल्स की कई टीमें पेट्रोलिंग के लिए निकलीं थी।
इन्हीं में से एक टीम जब कैंप वापस लौट रही थी तो शाम चार बजे के करीब इसके जवान इंतांकी नेशनल पार्क में आराम करने के लिए रुक गए। जब असम राइफल्स के जवान आराम कर रहे थे, उसी दौरान एनएससीएन (आईएम) के सदस्य वहां से गुजर रहे थे।
जिससे दोनों का आमना-सामना हुआ और दोनों के बीच झड़प हो गई। चूंकि सरकार और एनएससीएन की बीच सीजफायर समझौता है, इसलिए असम राइफल्स की टीम के प्रमुख ने सैनिकों को शांत कराया और कैंप वापस लौट आए। इसकी वजह से दोनों पक्षों का यह विवाद ज्यादा आगे नहीं बढ़ा।
रिपोर्ट्स के अनुसार, असम राइफल्स के जवान रास्ता भटक गए थे, जिसकी वजह से दोनों पक्ष आमने सामने आ गए थे। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार और नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालिम (इसाक-मुइवा) के बीच 2015 में समझौता हुआ था।
इस समझौते में तय किया गया था कि दोनों पक्ष आपसी बातचीत से नगा समस्या का हल ढूंढेंगे। 1947 में देश की आजादी के बाद से ही नगालैंड में विद्रोही संगठन उग्रवाद फैला रहे थे। हालांकि 1997 में दोनों पक्षों में करीब 80 राउंड की बातचीत के बाद सीजफायर समझौता हुआ था।