तेल अबीबः बेंजामिन नेतानह्यू सरकार के कानून सुधार के प्रस्तावों का जनता ने विरोध करना प्रारंभ कर दिया है। वैसे सरकार में आने के पहले ही नेतानह्यू के इन संशोधन प्रस्तावों के संबंध में एक विधि विशेषज्ञ ने यह साफ कर दिया था कि दरअसल इन संशोधनों के जरिए सरकार लोकतंत्र का गला घोंटना चाहती है। इसलिए परोक्ष तौर पर हर लोकतांत्रिक स्तंभ पर सरकारी कब्जे के लिए ऐसे संशोधन लाये जा रहे हैं ताकि सरकार का विरोध करने वाला कोई ना बचे।
इसके बाद नेतानह्यू के फिर से सरकार बनाने के बाद ही यहां की सड़कों पर विरोध प्रारंभ हो गया है। शहर के बीच में हजारों लोगों ने इन प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ रैलियां निकाली। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि इजरायल के 74 वर्षों के इतिहास में पहली बार सबसे अधिक दक्षिणपंथी और धार्मिक कट्टरता वाली सरकार अब शासन में आयी है।
सरकार के खिलाफ हुए इस प्रदर्शन को वामपंथी और अरब मूल के राजनीतिज्ञों ने भी अपना समर्थन दिया था। उनका भी आरोप है कि दरअसल यह सरकार यहां की न्यायिक व्यवस्था को अपने कब्जे में लेना चाहती है। इससे समाज में और विसंगति बढ़ेगी साथ ही सरकार अपने खिलाफ होने वाली किसी भी आलोचना का मुंह बंद करना चाहती है।
वैसे देश के नये कानून मंत्री यारिव लेविन ने सरकार गठन के बाद ही देश की न्याय व्यवस्था में सुधार करने की अपनी पुरानी बात को दोहराया है। इसका मकसद विरोधी मान रहे हैं कि सरकार अब देश की सुप्रीम कोर्ट को भी अपने कब्जे में लेना चाहती है।
विरोधियों का आरोप है कि इन संशोधनों के जरिए सरकार अपने विरोध के सारे लोकतांत्रिक रास्तों को बंद कर तानाशाही शासन की तरफ अग्रसर हो रही है, जो इजरायल जैसे देश के लिए बहुत खतरनाक है। इससे सरकार पर अंकुश रखने की सारी व्यवस्थाएं ही समाप्त हो जाएंगी।
विरोधियों का आरोप है कि दरअसल बेंजामिन नेतानह्यू तथा उनकी सरकार को समर्थन देने वाले कई लोग अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों से मुक्ति चाहते हैं। यह सारे मामले भ्रष्टाचार से संबंधित है। विरोधियों का कहना है कि तमाम उतार चढ़ाव के बाद भी देश में यहूदी और अरब मूल के लोग शांति से रहते हैं। अब यह सरकार उग्र राष्ट्रवाद के बहाने यहूदी जनमानस को भड़का रही है। जिसका असली मकसद देश का मूल मुद्दे से ध्यान बंटाना है और वे सभी अपने खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों से बच निकलना चाहते हैं।