अजब गजबविज्ञान

चूहों के दिमाग ने इंसानी संवेदना जैसा आचरण किया

इंसानी दिमाग की खास कोशिकाओं को चूहों में प्रतिस्थापित करने का परिणाम

  • अंदर का हाल समझने का पूरा इंतजाम था

  • इंसानो के जैसा ही चूहे के दिमाग ने काम किया

  • दिमागी बीमारियों को ठीक करने की दिशा में बडा कदम

कैलिफोर्नियाः वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क अनुसंधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है। इसके जरिए इंसानी मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त हिस्सों को भी दिमाग के बाहर फिर से उगाना शायद संभव हो जाएगा। इस प्रयोग के तहत इंसानी दिमाग के ऑर्गेनाइड्स को चूहों के दिमाग के कॉरटेक्स में प्रतिस्थापित किया गया था।

इस प्रतिस्थापन का परिणाम सही रहा और चूहों के दिमाग ने बिल्कुल इंसानों के जैसा दिमागी आचरण किया। इस एक प्रयोग से यह साबित हो गया था ऐसे कोश चूहों के दिमाग के अंदर भी सही तरीके से स्थापित होने के बाद काम भी करने लगे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के इंजीनियरों और न्यूरो साइंटिस्टों ने मिलकर यह काम किया था।

ऐसा प्रयोग पूरी दुनिया में पहली बार किया गया है, जो सफल रहा है। इसमें बाहरी संवेदना के जरिए दिमागी तौर पर चूहों के आचरण को देखा गया है। परिणाम से यह स्पष्ट हो गया है कि जो कोश प्रतिस्थापित किये गये थे, वे चूहे के दिमाग के दूसरे हिस्सों के साथ तालमेल बनाने में कामयाब रहे हैं।

इस प्रयोग के लिए शोध दल ने पारदर्शी ग्रेफाइन, माइक्रोइलेक्ट्रॉड एरे और दो फोटोन इमेजिंग पद्धति का इस्तेमाल किया ताकि यह पता चल सके कि इसके परिणाम क्या हो रहे हैं। इनके जरिए जब चूहों के दिमाग में कृत्रिम संकेत भेजा गया तो दिमाग के सारे हिस्से उसी अनुरुप आचरण करते पाये गये।

इस शोध दल का नेतृत्व यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (सेनडियागो) के दुईगू कुजुम कर रहे थे। वह यहां पर इलेक्ट्रिल एंड कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के साथ जुड़े हुए हैं। उनके दल ने इस काम के लिए बोस्टन यूनिवर्सिटी के एना डेवर की प्रयोगशाला तथा साल्क इंस्टिट्यूट के फ्रेड एच गागे के अलावा अपने विश्वविद्यालय के एलिसन आर मुओट्रि का भी सहयोग लिया।

इंसानों के प्लूरिपोटेंट स्टेम सेल से यह कोश निकाले गये थे। आम तौर पऱ इसे चमड़े के सेल से निकाला जाता है। इस सेल के विकसित होने तथा चूहों के दिमाग के अंदर सही तरीके से काम करने के बाद यह माना जा रहा है कि भविष्य में इंसानी दिमाग की गड़बड़ियों को दूर करने में भी यह तरीका कारगर साबित होगा।

अत्याधुनिक यंत्रों की मदद से चूहों के दिमागी गतिविधि को दर्ज कर पाना संभव हुआ है। वरना इससे पहले उनके दिमाग के अंदर क्या चल रहा है, इसका कोई अता पता नहीं चलता था। अब प्रयोग सफल होने के बाद शोधदल यह मानता है कि इसी विधि को और विकसित कर इंसानी दिमाग के अंदर क्षतिग्रस्त सेलों को फिर से उगाया अथवा प्रतिस्थापित किया जा सकेगा।

प्रयोग में यह पाया गया कि दिमाग के अंदर इन सेलों के होने तथा बाहरी संकेत मिलने की वजह से चूहों के रक्त कोशिकाएं भी बदलकर ऑर्गेनाइड मे तब्दील हो गयी। इसके जरिए उस कृत्रिम कोश को आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन भी मिलने लगे। उस चूहे के दिमाग के अंदर की स्थिति को देखने का इंतजाम होने की वजह से इस बारे में पक्की जानकारी पहली बार मिल पायी है।

अब इसके बाद शोध दल मस्तिष्क संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों का मॉडल तैयार कर उस पर इसी विधि को आजमाने की तैयारी में है। कृत्रिम दिमाग के अंदर इंसानी बीमारी जैसी परिस्थिति पैदा करने के बाद इन सेलों के जरिए उन्हें सुधारने का काम किया जाएगा। यह वह प्रयोग भी सफल हुआ तो उसके बाद परीक्षण के तौर पर इसका क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा।

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