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अब आल्प्स पर्वत पर बर्फ कम होने से नया खतरा, देखें वीडियो

  • जहां बर्फ होते थे वहां हरे घास का मैदान

  • पर्यटकों को गर्मी और नमी का एहसास भी

  • नकली बर्फ से लोगों को आनंद देने की कोशिश

एडेलबोडेनः इस बार यहां आने वाले पर्यटक हैरान हैं और यहां के पर्यटन आधारित उद्योगों का संचालन करने वाले चिंतित है। दरअसल इस बार विश्व प्रसिद्ध आल्प्स पर्वत माला पर बर्फ बहुत कम बचा है। इसलिए वहां भी शीघ्र ही मौसम बदलने तथा गर्मी का प्रकोप होने का अंदेशा है। अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन के कई इलाकों हाल के दिनों में बर्फवारी से आयी तबाही के ठीक विपरीत यहां बर्फ कम हो गया है। नये साल के दिन इस स्विस शहर का तापमान बीस डिग्री था, जो अब तक का एक रिकार्ड है।

देखें ग्लेशियर पिघलने पर वीडियो रिपोर्ट

वैज्ञानिक इसे भी मौसम के बदलाव से जोड़कर देख रहे हैं। ठंड के मौसम में यहां पर बर्फ आधारित कई किस्म की विश्व चैंपियनशिपों का आयोजन होता है। इस बार बर्फ की भारी कमी की वजह से इनके आयोजन पर भी सवाल खड़े हो गये हैं। अंतिम जानकारी मिलने पर इस पहाड़ी पर्यटन इलाके में साढ़े छह हजार फीट की ऊंचाई पर भी अभी तापमान शून्य से ऊपर है।

इस वजह से चारों तरफ का ग्लेशियर तेजी से पिघलता जा रहा है। ठंड और बर्फ के आकर्षण की वजह से यहां बार बार आने वाले पर्यटक इस बार यहां बर्फ पिघलने की गति तेज होने की वजह से नमी और गर्मी दोनों महसूस कर पा रहे हैं। जो इलाका पूरी तरह बर्फ से ढंका रहता था, वहां विशाल घास के ऊंचे नीचे मैदान नजर आ रहे हैं।

जनवरी के महीने में ही यह हाल होने की वजह से फरवरी में यहां का पूरा इलाका पर्यटकों से खाली हो चुका है। इस कारण पर्यटन आधारित कारोबार पर भी मंदी की आहट आने लगी है। मौसम वैज्ञानिकों ने इस बारे मे कहा कि मौसम के बदलाव की चेतावनी तो काफी पहले से दी गयी थी। अब लोगों को उसका असर दिख रहा है।

इसलिए तय है कि आने वाले कुछ वर्षों में बर्फ आधारित कारोबार ही यहां बंद हो जाएगा। वैसे इस पर्वतमाला पर बर्फ कम होने की वजह से यूरोप के अनेक इलाकों में भविष्य में पीने के पानी का भी भीषण संकट उत्पन्न हो सकता है। पहले यहां पर एक हजार मीटर की ऊंचाई पर बर्फ आधारित खेल होते थे। अब इस ऊंचाई पर बर्फ नहीं होने की वजह से ऐसे आयोजनों को और ऊपर डेढ़ हजार मीटर पर ले जाया गया है।

वहां भी बर्फ तेजी से घटता जा रहा है। उसके ऊपर के पहाड़ी इलाके सिर्फ पर्वतारोहण के काम आ सकते हैं। इससे पर्यटन आधारित व्यवसाय भी बंद होने के कगार पर आ पहुंचा है। इन इलाकों में नकली बर्फ तैयार करने की विधि भी आजमायी जा रही है लेकिन उसमें पानी की अत्यधिक खपत होती है। दूसरी तरफ स्विटजरलैंड पानी के संरक्षण पर काफी गंभीर है ताकि उसके जलविद्युत संयंत्रों को कोई नुकसान ना पहुंचे। यूक्रेन युद्ध की वजह से देश को भी ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ रहा है।

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