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मुंबईः निर्भया फंड के तहत मुंबई पुलिस की ख़रीदी गई कई गाड़ियों का इस्तेमाल इस साल जुलाई में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिव सेना गुट के विधायकों और सांसदों के लिए किया गया। एक अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़ महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रहे अपराधों से निपटने के लिए ये गाड़ियां ख़रीदी गई थीं लेकिन इसका इस्तेमाल नेताओं को सुरक्षा देने में किया गया।
अख़बार कहता है कि इस साल जून में मुंबई पुलिस ने 220 बोलेरो और 35 अर्टिगा गाड़ियां, 313 पल्सर मोटरसाइकल और 200 एक्टिवा स्कूटर ख़रीदे थे। इसके लिए निर्भया फंड से 30 करोड़ रुपये निकाले गए। जुलाई में ये गाड़ियां अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में बाँट दी गईं। महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ रहे अपराधों को देखते हुए केंद्र सरकार ने साल 2013 में महिला सुरक्षा के लिए बनी योजनाओं के कार्यान्वयन को ध्यान में रखते हुए ये राज्यों के लिए फंड बनाया था।
अख़बार लिखता है कि इस साल जुलाई में महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच एकनाथ शिंदे गुट के 40 विधायकों और 12 मंत्रियों को ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने के लिए मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग ने मुबंई पुलिस से 47 बोलेरो देने की गुज़ारिश की। तुरंत सुरक्षा व्यवस्था करने की ये गुज़ारिश वीआईपी सिक्यॉरिटी विभाग की तरफ़ से की गई थी। जो 47 बोलेरो दिए गए उनमें से 17 वापस आ गईं लेकिन 30 गाड़ियां अब तक वापस नहीं आई हैं। वाई प्लस स्तर की सुरक्षा में एक गाड़ी के साथ पाँच पुलिसकर्मी व्यक्ति की सेवा में लगाए जाते हैं। ये चौबीसों घंटे ड्यूटी पर रहते हैं।
अख़बार ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से (पुलिस अधिकारी की ग़ुज़ारिश पर नाम ज़ाहिर नहीं किया गया है) कहा है कि जून में नई बोलेरो गाड़ियां ख़रीदने के बाद अलग-अलग पुलिस स्टेशनों को दी गई थीं, ताकि जिन पुलिस स्टेशनों में गाड़ियों की कमी है, वहाँ इस कारण ज़रूरी काम न रुके।
उन्होंने कहा, शहर के 95 पुलिस स्टेशनों को गाड़ियां दी गई थीं, संवेदनशील इलाक़ों की पहचान करते हुए कुछ पुलिस स्टेशनों को एक गाड़ी दी गई जबकि कुछ पुलिस स्टेशनों को दो गाड़ियां दी गई थीं। पुलिस स्टेशनों को गाड़ी दिए जाने के कुछ दिन बाद सुरक्षा में लगाने के लिए इन्हें वापस मांगा गया। मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग में एक सूत्र ने बताया है कि सुरक्षा के लिए गाड़ियों की व्यवस्था उन्हें करनी थी जिसके लिए उन्हें अस्थायी तौर पर 30 गाड़ियां पुलिस स्टेशनों से वापस मांगी। पुलिस स्टेशनों की गुज़ारिश पर कुछ गाड़ियां वापस मिलीं लेकिन अभी भी कुछ गाड़ियां नहीं आई हैं।