लीमाः अचानक बदले घटनाक्रमों में पेरू के राष्ट्रपति कास्टिलो के गिरफ्तार कर लिया गया है। इस गिरफ्तारी के पहले संसद में आनन फानन में उनके खिलाफ लगाये गये महाभियोग के प्रस्ताव को पारित किया। उसके बाद डीना बुलुआरते को देश का पहला राष्ट्रपति चुना। राजनीतिक उतार चढ़ाव से गुजरते इस देश में वह पांच वर्षों में छठी राष्ट्रपति बनी है। पूर्व राष्ट्रपति को संसद द्वारा हटाये जाने के बाद 130 सदस्यों वाले सांसदों में से 101 ने नई राष्ट्रपति के पक्ष में मतदान किया।
आरोप लगाया गया है कि पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे हैं। दूसरी तरफ राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कास्टिलो ने खुद को बेगुनाह बताया है और कहा है कि वह इस संसद को भंग करने का एलान कर चुके थे। उसके बाद गैर कानूनी तरीके से यह कार्रवाई हुई है।
वैसे इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि संसद में महाभियोग का प्रस्ताव पारित होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति को पुलिस ने हिरासत में भी ले लिया है। इसके पहले कास्टिलो ने कांग्रेस को भंग कर नये संविधान के बनने तक काम चलाऊ सरकार का गठन करने का एलान किया था। अब डीना को देश का प्रथम महिला राष्ट्रपति चुन लिया गया है। दरअसल राष्ट्रपति द्वारा नये संविधान के बनाने का एलान होते ही सरकार के कई मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से ही इस फैसले की आलोचना प्रारंभ हो गयी थी और उन्हें पद से हटाने की चर्चा होने लगी थी।
समझा जाता है कि पूर्व राष्ट्रपति ने सुरक्षा बलों को इसके लिए निर्देश जारी कर दिये थे लेकिन बदलते घटनाक्रमों को देखते हुए सुरक्षा बलों ने उनके निर्देशों का पालन नहीं किया। इस बीच संसद ने उन्हें ही अपने पद से हटाने के बाद नये राष्ट्रपति को पद की शपथ भी दिला दी। पेरू के एटर्नी जनरल ने कहा है कि कास्टिलो को संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के अपराध के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
एक स्कूल शिक्षक से राष्ट्रपति के पद तक पहुंचने वाले कास्टिलो एक श्रमिक नेता के तौर पर राजनीति में उभरे थे। जुलाई 2021 में उन्हें राष्ट्रपति बनाया गया था। विपक्ष ने उनके परिवार पर भी गंभीर किस्म के आरोप लगाये थे। इनमें एक अपराधियों का गिरोह संचालित करने तक का आरोप शामिल है। आरोप है कि इस गिरोह के साथ तालमेल का काम उनकी पत्नी और साली देखती थी। कई विभागों में अपने रिश्तेदारों की कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप भी उनपर लगा था। सेना में भी अफसरों की प्रोन्नति में गड़बड़ी करने का आरोप उनपर लगा है। अब महाभियोग से हटाये गये पूर्व राष्ट्रपति पर लगे इन तमाम आरोपों की जांच भी हो पायेगी। वैसे इसे देश के अंदर वामपंथी रूझान के खिलाफ दक्षिणपंथियों की जीत के तौर पर भी देखा जा रहा है क्योंकि इसका फैसला होने के तुरंत बाद अमेरिका भी खुलकर नये फैसले के समर्थन में उतर आया है।