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धक धक करने लगा मेरा जियरा डरने लगा 

धक धक करने लगा है जो हर पांच साल में एक बार होता है। इस बार की धकधका मिजाज लेकिन कुछ अलग है क्योंकि मसला सिर्फ एक राज्य के चुनाव का ही नहीं है। एक साथ इतने सारे मसले उलझे हुए हैं कि किसे देखें और किसे नजरअंदाज करें, यह तय कर पाना कठिन हो रहा है।

जी हां पहला धक धक तो यह है कि हिमाचल प्रदेश के पिटारे में क्या बंद है। पहले तो लगा था कि सब कुछ ठीक ठाक गया है। अब सर्वेक्षण पर पाबंदी होने के बाद भी चौक चौराहों पर दूसरी चर्चा की बुरी खबर आने लगी है। लेकिन असली टेंशन तो गुजरात को लेकर है। इस बार की दिक्कत यह है कि पहली बार गुजरात मॉडल पर ही विरोधियों ने हमला कर दिया है। ऊपर से मोरबी पुल की घटना में ओरेबो कंपनी का नाम आने से भी मोटा भाई परेशान हैं।

ऊपर से यह दिल्ली वाली बीमारी यहां तक आ पहुंची है और लोगों को गारंटी देने की बात कहकर कंफ्यूज करने में लगी है। मोटा भाई ने फिर से हिंदू मुसलमान का कार्ड तो खेला है पर पहली बार यहां इसका असर कम देखने को मिल रहा है। लोग अब महंगाई, पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस और रोजगार की बात पूछने लगे हैं। इससे पहले कभी भी भीड में कोई ऐसे सवाल नहीं उठाया करता था। अब कहें तो क्या कहें।

बेचारी स्मृति ईरानी अपने पहले बयान की वजह से भीड़ से बचकर चल रही हैं। वरना अब तो हवाई जहाज में भी उनकी फजीहत हो जाती है। कभी कभार अपना कहा हुआ भी अपने ऊपर ही भारी पड़ जाता है। पश्चिम बंगाल के चुनाव में साहब यानी मोदी जी ने जो बात कही थी, वह गुजरात में भाजपा के माथे फूट गयी है। उन्होंने पुल का हिस्सा गिरने पर कहा था कि यह एक्ट ऑफ गॉड नहीं एक्ट ऑफ फ्रॉड है। अब मोरबी पुल में उनका यह बयान फिर से उन्हें ही परेशान कर रहा है।

इसी बात पर एक सुपरहिट फिल्म बेटा का यह गीत याद आने लगा है।

दरअसल इस गीत को भी अभिनेत्री माधुरी दीक्षित से जोड़कर देखा जाता है। इस गीत की वजह से ही बाद में माधुरी दीक्षित को धकधक गर्ल कहा जाने लगा था। फिल्म बेटा के इस गीत को लिखा था समीर ने और संगीत में ढाला था आनंद और मिलिंद की जोड़ी ने। इसे अनुरोधा पौडवाल और उदित नारायण ने स्वर दिया था जबकि पर्दे पर इसे अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित पर फिल्माया गया था। गीत के बोल इस तरह हैं।

धक-धक करने लगा, हो मोरा जीयरा डरने लगा

सैंया बैंया छोड़ ना, कच्ची कलियाँ तोड़ न

धक-धक करने लगा, हो मोरा जीयरा डरने लगा

सैंया बैंया छोड़ ना, कच्ची कलियाँ तोड़ न

दिल से दिल मिल गया, मुझसे कैसी ये हया

तू है मेरी दिलरुबा, क्या लगती है, वाह रे वाह

दिल से दिल मिल गया, मुझसे कैसी ये हया

तू है मेरी दिलरुबा, क्या लगती है, वाह रे वाह

अपना बनाया पीया तूने मुझे, मैं मीठे-मीठे सपने सजाने लगी

देखा मेरी रानी जब मैंने तुझे, मेरी सोई-सोई धड़कन गाने लगी

जादू तेरा छाने लगा, मेरी नस-नस में समाने लगा

ख़ुद को मैं भुलाने लगा, तुझे साँसों में बसाने लगा

रिश्ता, अब ये रिश्ता, साथी टूटेगा न तोड़े कभी

उलझी है काली-काली लट तेरी, ज़रा इन ज़ुल्फ़ों को सुलझाने तो दे

इतनी भी क्या है जलदी तुझे, घड़ी अपने मिलन की तू आने तो दे

ऐसे न बहाने बना, मेरी रानी, अब तो बाहों में आ

ऐसे न निगाहें मिला, कोई देखेगा तो सोचेगा क्या?

मस्ती छाई है मस्ती, आके लग जा गले से अभी

धक-धक करने लगा ।।।

दिल से दिल मिल गया ।।।

इनसे अलग राहुल गांधी पैदल चल रहे हैं। उनका भी अंदर से धकधक बढ़ा हुआ है कि पता नहीं आगे क्या होगा। इधर सब ठीक था तो राजस्थान के सीएम ने ऐसा बयान दे दिया कि सारा गुड़ गोबर हो गया। बेचारे एक तरफ संभालते हैं तो दूसरी तरफ का पलड़ा गड़बड़ा जाता है।

अब कश्मीर के रास्ते पर चलते हुए और कितनी बार उनके दिल की धड़कन बढ़ेगी, यह कोई नहीं जानता। ऊपर से सावरकर के पेंशन की बात कहकर अपने ही सहयोगियों को नाराज कर लिया है। पता नहीं आगे क्या होगा।

इधर गुजरात में भाजपा का टेंशन बढ़ा रहे केजरीवाल का अपना टेंशन दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर बढ़ा हुआ है। यहां हार गये तो बाकी सब गुड़ गोबर हो जाएगा, यह उन्हें भी पता है। भला हो सीबीआई का, जिसने अपनी चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम नहीं लिया वरना आबकारी घोटाला पर तो केजरीवाल की पार्टी सफाई देते देते परेशान हो गयी थी। जाहिर है कि अब पलटवार का दौर प्रारंभ होगा। वैसे इस धक धक वाली स्थिति के बीच केजरीवाल की पार्टी यह जानकार खुश हो रही होगी कि गुजरात के बाद वे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तो कमसे कम हासिल कर ही लेंगे।

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