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दो दोस्तों की कहानी से जुड़ा है रिश्ता
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कई लोगों ने आजमाया और तुरंत मारे गये
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अब पांच फीट ऊंचाई पर लटकाया गया है इसे
लंदनः इंग्लैड के अजायबघर में एक ऐसी कुर्सी भी है, जिसपर किसी का बैठना अब मना है। किसी संभावित खतरे को टालने के लिए इसे घेरकर रखा गया है ताकि कोई गलती से भी उस पर नहीं बैठ सके। इस कुर्सी को मौत की कुर्सी कहा जाने लगा है।
इसे थार्सके म्युजियम में रखा गया है। यह एक व्यक्ति के घर से निकलकर कबाड़ गोदाम होते हुए म्युजियम आ पहुंचा है। वहां भी इस पर पहले तो अधिक ध्यान नहीं दिया गया था लेकिन कुछेक रहस्यमय मौतों के बाद इसे लोगों की पहुंच से दूर कर दिया गया है। अब उसे लोग सिर्फ देख सकते हैं। इस कुर्सी के साथ जो कहानी जुड़ी है वह 18वीं सदी की है। इस दौरान थार्सके में टमास बुसबी नामक एक व्यक्ति रहता था। यह कुर्सी उसी की अमानत थी।
वह अपने घनिष्ठ मित्र डेनियल आर्टी के साथ ज्यादा जुड़ा हुआ था। कहा जाता है कि दरअसल दोनों ही नकली नोट बनाने के अलावा कई किस्म के आपराधिक कार्यों में लिप्त लोग थे। बाद में टमास ने अपने इसी मित्र की पुत्री से शादी भी कर ली थी और दोस्त के साथ साथ श्वसुर और दामाद भी बन गये थे। काम निपटाने के बाद वे दोनों एक साथ बैठकर शराब का सेवन किया करते थे। उस दौरान भी टमास इसी कुर्सी पर बैठा करता था। कहानी के मुताबिक अगर कोई दूसरा इस कुर्सी पर बैठ जाता तो टमास झगड़ा करने लगता था। कुर्सी पर बैठे किसी भी व्यक्ति को उससे हटाकर वह खुद उस पर बैठ जाता था।
कहानी के मुताबिक एक दिन किसी मुद्दे पर टमास और डेनियल के बीच विवाद बढ़ गया। टमास को और नाराज करने के लिए डेनियल जाकर उसी कुर्सी पर बैठ गया। इससे गुस्से से लाल हो चुके टॉमस ने उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और अदालत ने उसे फांसी की सजा दे दी। उसकी कुर्सी को घरवालों ने किसी कबाड़ वाले को बेच दिया था, जहां से यह स्थानीय बार में जा पहुंची थी।
उसकी फांसी होने के बाद दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान दो पायलट भी बार में आने के बाद उसी कुर्सी पर बैठ गये। वहां से निकलने के थोड़ी ही देर बाद दोनों की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी। उस कुर्सी पर पाइलटों को अनेक लोगों ने बैठे देखा था।
इस वजह से कुर्सी का इतिहास पता करने पर मालूम पड़ा कि यह तो टमास की वही कुर्सी है। उसके बाद से इसे अभिशप्त माना गया था जबकि बाद में कई लोगों ने इस पर बैठने का साहस किया लेकिन हर ऐसा व्यक्ति अपनी जान से हाथ धो बैठा। इसलिए बार मालिक ने उसे दुकान से हटाकर अपने कबाड़ गोदाम में पहुंचा दिया था। एक बार उस गोदाम की सफाई करने आये मजदूरों में से एक भी अनजाने में इस कुर्सी पर बैठ गया। उस मजदूर की भी थोड़ी देर बात मौत हो गयी।
उसके बाद बार मालिक ने इसे अजायबघर में भिजवा दिया था। अब म्युजियम में इस कुर्सी को जमीन से पांच फीट की ऊंचाई पर लटकाकर रखा गया है ताकि कोई गलती से भी उस पर ना बैठे। इस मौत की कुर्सी को देखने भी वहां हर साल हजारों लोग आते हैं।