भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी: केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने रविवार को असम के सिलचर शहर में क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन किया। पूर्वोत्तर भारत में यूनानी चिकित्सा पर आधारित अपनी तरह का यह पहला संस्थान है। क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आरआरआईयूएम) 3.5 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसका निर्माण 48 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
इस अवसर पर सोनोवाल ने कहा, ‘‘चिकित्सा की आयुष प्रणाली ने महामारी के दौरान लाखों लोगों को लाभान्वित करने के प्रमाणित परिणामों के बाद एक बार फिर से लोगों के बीच इस प्रणाली की स्वीकार्यता में वृद्धि की है। लोगों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में चिकित्सा की आयुष प्रणाली ने प्रभावशीलता को सिद्ध कर दिया है।
इसलिए हम इस चिकित्सा प्रणाली पर कार्य कर रहे है, जहां आयुष की परंपरागत औषधीय पद्धतियों के साथ श्रेष्ठ समकालीन चिकित्सा का भी सर्वोत्तम पूरक हो सकता है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कल्पना की गई है, आयुष की पारंपरिक औषधीय पद्धतियों के साथ समकालीन चिकित्सा का सबसे अच्छा पूरक हो सकता है। उन्होंने कहा कि यूनानी पद्धति न केवल भारत में, बल्कि अन्य देशों में भी सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक दवाओं में से एक है।
अधिकारियों ने कहा कि आरआरआईयूएम का नवनिर्मित परिसर, सीसीआरयूएम के तहत कार्य करेगा। यूनानी चिकित्सा में अनुसंधान के लिए यह शीर्ष सरकारी संगठन है। यह यूनानी चिकित्सा के विभिन्न, मौलिक और व्यावहारिक पहलुओं पर उन बीमारियों के बारे में जो उत्तर पूर्व और विशेष रूप से असम में प्रचलित हैं, वैज्ञानिक अनुसंधान करने के साथ-साथ रोगी देखभाल सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करेगा। यह केंद्र कार्डियक, पल्मोनरी, स्ट्रोक, कैंसर और मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के रोगियों की जांच के लिए भी पूरी तरह तमाम सुविधाओं से लैस है। बच्चों पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ यह केंद्र स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य की जांच भी करेगा और बीमार पाए गए लोगों को प्रभावी उपचार भी प्रदान करेगा।