-
इस इलाके में अब शांति लौट रही है
-
सेना ने कहा परेश बरुआ बात चीत करें
-
हम साठ साल में बहुत मजबूत हो चुके हैं
राष्ट्रीय खबर
गुवाहाटी: गुवाहाटी में आयोजित दो दिवसीय पूर्वोत्तर स्वाभिमान उत्सव के दिन सेना के पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आर.पी.कलिता ने चीन को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि भारत ने चीन को साफ कहा है कि अब चीन हमें 1962 वाला भारत समझने की भूल बिल्कुल भी ना करें, हम 2022 का अत्याधुनिक देश हैं।
देश ने हर मोर्चे पर तरक्की कर ली है। प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आर.पी.कलिता ने कहा कि न केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर के फील्ड में बल्कि हर क्षेत्र में भारत काफी आगे निकल गया है। सेना ने चीन को चेताते हुए कहा है कि भारत पिछले 60 सालों में अपनी सैन्य शक्ति को बहुत ज्यादा मजबूत कर चुका है।
कलिता ने देशवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। पूर्वी कमान के प्रमुख कहा, पूर्वोत्तर में धीरे-धीरे शांति कायम हो रही है। असम हो, मणिपुर हो या फिर कोई राज्य, लगातार इनसरजेंट हथियार डाल रहे हैं और मुख्य धारा में शामिल हो रहे हैं। जैसे-जैसे हिंसा कम होगी, अफस्पा को हटाने के लेकर संबंधित मंत्रालय इसमें आसपी तालमेल से इस पर विचार करेंगे। उसके बाद कोई फैसला किया जाएगा।
इससे पहले रविवार को आजादी का अमृत महोत्सव के तहत भारतीय सेना की पूर्वी कमान राष्ट्र निर्माण में पूर्वोत्तर क्षेत्र के योगदान पर दो दिवसीय पूर्वोत्तार स्वाभिमान उत्सव असम एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज, गुवाहाटी में शुरू हुआ। सेना अधिकारी ने बताया कि दो दिवसीय इस कार्यक्रम में गुमनाम नायकों की भूमिका, भारतीय सशस्त्र बलों और सरकार के अन्य महत्वपूर्ण अंगों जैसे उत्तर पूर्वी परिषद (एनईसी), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), असम राइफल्स और पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के बारे में जागरुकता फैलाना है।
पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने उल्फा-आई के मायावी कमांडर परेश बरुआ से बातचीत के लिए मेज पर आने का आग्रह किया। लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने बताया कि असम के मुख्यमंत्री ने बार-बार उनसे मुख्य धारा में आने और हमारी नई पीढ़ी को अलग-अलग अवसर देने की अपील की है। मैं उनसे बातचीत के लिए बाहर आने का आग्रह करता हूं। उन्होंने आगे कहा कि राज्य में जमीनी स्तर पर उल्फा-आई का प्रभाव काफी कम हुआ है. लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने कहा, उल्फा का अब राज्य में जमीनी स्तर पर प्रभाव नहीं है। असम के केवल चार जिलों में इसका कुछ प्रभाव है।