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जलकुंभी साफ करने का ठेका में गड़बड़ी की तैयारी

  • एक ही परिवार की तीन कंपनियां

  • निगम आयुक्त रांची से यहां आये हैं

  • गाड़ी बनाने वाले को जहाज बनाने का काम

राष्ट्रीय खबर

धनबादः जिस कंपनी को पेचिदा उपकरण बनाने अथवा आपूर्ति का कोई अनुभव तक नहीं है, उसे भी योग्य मानकर उसके जिम्मे जलकुंभी साफ करने का ठेका देने की साजिश चल रही है। इस बारे में धनबाद निगम कार्यालय के लोग भी मानते हैं कि आने वाले दिनों में यह फिर से एक नया बखेड़ा खड़ा कर सकता है। वहां के कर्मचारियों के मुताबिक रांची से तबादला के बाद यहां आये नगर आयुक्त ने यहां अपना जाल बिछाने का काम भी बखूबी फैलाया है। इसी वजह से टेंडर के नियमों की गलत व्याख्या कर अपने चहेते को लाभ दिलाने की तैयारी है।

मामला बड़े तालाबों अथवा जलागारों से जलकुंभी साफ करने के मशीन की है। यह मशीन काफी तकनीकी है। इस मशीन को भारत में या तो आयात किया जाता है अथवा देश में सिर्फ दो कंपनियां इसका निर्माण करती हैं। नियम कहते हैं कि इस किस्म के कार्य का टेंडर उन्हीं कंपनियों को दिया जाना चाहिए, जो या तो इनका उत्पादन करती हैं अथवा आपूर्ति और संचालन का तीन वर्षों का अनुभव हो। धनबाद नगर निगम में इस टेंडर में तीन ऐसे कंपनियों को भी तकनीकी तौर पर योग्य ठहराया गया है जो एक ही परिवार की कंपनियां हैं। इन कंपनियों ने दूसरे किस्म की मशीनों की सप्लाई राज्य के कई हिस्सों में की है। लेकिन जलकुंभी साफ करने की मशीन का इन तीनों कंपनियों के पास कोई अनुभव नहीं है। यही पर नगर निगम के उच्चाधिकारी खेल करने में जुटे हैं। नियमों की व्याख्या इस तरीके से की जा रही है कि एक जैसा काम करने वाले को योग्य माना गया है।

पूछताछ करने पर एक अनुभवी व्यक्ति ने कहा कि मानों यह टाटा कंपनी को पानी का जहाज बनाने का ठेका देने जैसा है। टाटा कंपनी को गाड़ी बनाने का अनुभव होने के बाद भी वह पानी का जहाज कैसे बना सकती है। विड हार्वेस्टर नामक यह मशीन पानी में चलते हुए जलकुंभी साफ करती है यानी यह भी एक जहाज जैसी गाड़ी ही है जो चलते हुए पानी में मौजूद जलकुंभी के ढेर को साफ करती जाती है। जिन कंपनियों पर नगर आयुक्त की मेहरबानी दिख रही है, उनके पास इसका कोई अनुभव नहीं है। इन कंपनियों के विवरणों को भी लोगों ने इंटरनेट पर जांचा-परखा है और पाया है कि दरअसल यह एक ही परिवार की तीन कंपनियां हैं। जिन्हें हाल के दिनों में लगातार काम दिया गया है। निगम के लोगों ने बताया कि नगर आयुक्त कार्यालय का एक कर्मचारी ही इसमें तोल मोल का असली काम करता है। इस मुद्दे पर दूसरे कर्मचारियों द्वारा सवाल किये जाने के बाद सभी को यह कहकर चुप कराया गया है कि अभी सिर्फ किराये पर यह मशीन रांची नगर निगम से लेने की तैयारी चल रही है। दूसरी तरफ खरीद के मामले में होने वाली गड़बड़ियों का नतीजा बाद में क्या होता है, यह वहां के लोग पहले से ही जानते हैं। इसलिए चर्चा है कि आने वाले दिनों में नगर आयुक्त का यह फैसला नई परेशानी पैदा कर सकता है क्योंकि यह पानी के तालाबों से जुड़ा हुआ मामला है।

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