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नईदिल्लीः सौर उर्जा के क्षेत्र में अब भारत की तरक्की की तरफ दुनिया का ध्यान भी आकृष्ट हुआ है। देश में पिछले दस वर्षों में सौर ऊर्जा को लगातार बढावा दिये जाने के परिणाम अब नजर आने लगे हैं। एक सर्वेक्षण में भारत की इस उपलब्धि का पता चला है। इस क्रम में यह भी बताया गया है कि इसके जरिए भारत ने करीब 4.2 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा की बचत की है।
सिर्फ सौर ऊर्जा की वजह से भारत की बचत ईंधन के आयात में हुई है। इसके अलावा कोयला आयात के आंकड़े बताते हैं कि भारत ने 19.4 मिलिटन टन कम कोयला आयात किया है। इस साल के पहले छह माह के आंकड़े बताते हैं कि इस तरीके से ईंधन और ऊर्जा संबंधी आयात को कम कर भारत ने विदेशी मुद्रा की भारी बचत की है।
यह बताना जरूरी है कि दुनिया की दस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अब भारत भी शामिल है। वैसे वैश्विक स्थिति यह है कि इस कतार के पहले दस देशों में से पांच एशिया महाद्वीप के हैं। इनमें भारत के अलावा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम हैं। ऊर्जा संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली संस्था एमबार ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है।
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (क्रेया) तथा इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फिनांशियल एनालाइसिस के तथ्यों के आधार पर यह रिपोर्ट प्रकाशित की गयी है। बता गया है कि दुनिया भर में ही पिछले एक दशक से सौर ऊर्जा का उपयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है।
दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल एशियाई देश यह साबित कर रहे हैं कि वे पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा के प्रति गंभीर हैं। दूसरी तरफ प्रदूषण पर शोर मचाने वाले पश्चिमी देश सिर्फ उसका ढोल पीट रहे हैं। पता चला है कि चीन ने अपनी कुल ऊर्जा की जरूरतों का पांच प्रतिशत अब सौर ऊर्जा पर आधारित कर लिया है।
इससे वह भी पैसे बचा रहा है। सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के प्रारंभिक खर्च की वजह से यह भारत में उतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इसके बाद भी अब जनता के बीच यह संदेश साफ साफ पहुंच गया है कि प्रदूषण से बचने के लिए पारंपरिक ऊर्जा के बदले सौर ऊर्जा पर अधिक ध्यान देना होगा। दूर दराज के भारतीय गांवों में सौर ऊर्जा के लालटेन इसे प्रमाणित करते हैं। अनुमान है कि अपनी लोकप्रियता की वजह से सौर ऊर्जा का प्रचलन देश में और भी बढ़ता चला जाएगा।