बीस हजार पन्नों की चार्जशीट अदालत में दाखिल हुई
राष्ट्रीय खबर
बेंगलुरु: वर्ष 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक में कथित वोट चोरी से जुड़े एक गंभीर मामले में एक पूर्व भारतीय जनता पार्टी विधायक सहित सात व्यक्तियों को आरोपी बनाते हुए विशेष जाँच दल ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। 20,000 पन्नों से अधिक का यह विस्तृत आरोप पत्र बेंगलुरु की प्रथम अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन अदालत में पेश किया गया है। यह मामला आलंद विधानसभा क्षेत्र में 5,994 मतदाताओं के नाम हटाने के कथित प्रयास से संबंधित है।
आरोप पत्र में जिन प्रमुख व्यक्तियों के नाम शामिल हैं, उनमें आलंद से चार बार विधायक रह चुके पूर्व भाजपा नेता सुभाष गुट्टेदार, उनके बेटे हर्षानंद गुट्टेदार और उनके निजी सचिव टिप्परुद्र शामिल हैं। इनके अलावा, कलबुर्गी के एक डेटा सेंटर के तीन ऑपरेटर—अकरम पाशा, मुकरम पाशा और मोहम्मद अशफाक—तथा पश्चिम बंगाल के एक युवक बापी आद्या का नाम भी शामिल है। आद्या पर कथित रूप से चुनाव आयोग की ऑनलाइन सेवाओं तक पहुँचने के लिए ओटीपी बाईपास सुविधा प्रदान करने का आरोप है। इस मामले में बापी आद्या को सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था, हालांकि बाद में उन्हें ज़मानत मिल गई।
रिपोर्टों के अनुसार, गुट्टेदार, उनके बेटे और निजी सचिव को अदालत पहले ही गिरफ्तारी-पूर्व ज़मानत दे चुकी है। विधायक के बेटे ने आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि उन्हें और उनके पिता को एक झूठे मामले में फँसाया जा रहा है।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि यह एक तथ्य है। इसमें कुछ भी छिपा नहीं है। विधायक बुधवार को विधानसभा में इस पर चर्चा करना चाहते हैं। राहुल गांधी के सुझाव के अनुसार, हमारे पास एक कानूनी वोट बैंक होगा। उनके कैबिनेट सहयोगी प्रियंक खरगे ने भाजपा से उनके पूर्व विधायक का नाम चार्जशीट में आने पर जवाब माँगा। खरगे ने कहा, जब हमने शिकायत दर्ज की थी, तो वे इसे ख़ारिज कर रहे थे। लेकिन अब जाँच खुद बोल रही है। भाजपा को अब जवाब देना चाहिए कि उनके उम्मीदवार इस तरह के धोखाधड़ी वाले कृत्यों में क्यों शामिल हैं।
गौरतलब है कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सितंबर में आलंद निर्वाचन क्षेत्र में व्यापक मतदाता विलोपन का दावा करते हुए भाजपा और चुनाव आयोग को निशाने पर लिया था। हालांकि, चुनाव आयोग ने गांधी के आरोपों को गलत बताते हुए ज़ोर दिया था कि किसी भी मतदाता का नाम ऑनलाइन और प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिए बिना नहीं हटाया जा सकता। इस बीच, केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता प्रह्लाद जोशी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई भी प्राथमिकी दर्ज कर सकता है, लेकिन अंतिम फैसला अदालत ही करेगी।