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राम मंदिर के मुख्य शिखर पर कलश स्थापित

धार्मिक आस्था के केंद्र में एक और नया आकर्षण जुड़ा

  • हजारों श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया

  • निर्माण का शेष कार्य युद्धस्तर पर जारी

  • भारी मशीनों को अब धीरे धीरे हटायेंगे

अयोध्याः अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर में सोमवार को ब्राह्मणों की उपस्थिति में वैदिक विधि-विधान के साथ मुख्य शिखर पर कलश स्थापित किया गया। यह पवित्र कार्य सुबह 9:15 बजे शुरू हुआ और 10:30 बजे शिखर पर कलश की स्थापना पूरी हुई। इस अवसर पर अयोध्या में उत्सव का माहौल रहा और स्थानीय लोगों ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताया। वैसे इस समारोह को देखने के लिए भी देश के अनेक श्रद्धालु यहां उपस्थित हुए थे। कार्यक्रम की जानकारी पाकर नियमित यहां आने वाले लोग भी समारोह में शामिल होते चले गये।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि वैशाखी और बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की जन्म जयंती के शुभ अवसर पर यह कार्य संपन्न हुआ। अब मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वजदंड स्थापना की प्रक्रिया शुरू होगी।

मंदिर निर्माण प्रगति पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि राम मंदिर का निर्माण न केवल आध्यात्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा की अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण देशवासियों की आस्था और संकल्प का परिणाम है।

यह भारत की सनातन संस्कृति को विश्व पटल पर और सशक्त करेगा। योगी ने ट्रस्ट और निर्माण कार्य से जुड़े सभी लोगों की सराहना की और इसे ‘नए भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। अयोध्या को विश्वस्तरीय तीर्थस्थल बनाने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। सड़क, रेल और हवाई संपर्क के साथ-साथ पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।

चंपत राय ने जानकारी दी कि मंदिर परिसर से अब निर्माण मशीनें हटाई जाएंगी। प्रथम तल पर राजा राम, परकोटे और सप्तऋषियों के मंदिरों में मूर्तियों की प्रतिष्ठा का कार्य भी शीघ्र शुरू होगा। मंदिर का निर्माण कार्य निर्धारित समय पर आगे बढ़ रहा है, जिससे भक्तों में उत्साह है।

अयोध्या के राम मंदिर के शिखर पर आमलक स्थापित करने और कलश चढ़ाने का कार्य अंतिम चरण में है। मंदिर निर्माण के प्रभारी गोपाल राव के अनुसार, यह कार्य 20 अप्रैल तक पूरा होने की संभावना है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि कलशों की तरह ही ध्वज दंड की भी विधि-विधान से पूजा की जाएगी, जिसके बाद उन्हें अलग-अलग मंदिरों में स्थापित किया जाएगा।

युवा पीढ़ी को राम मंदिर के गौरवशाली प्राचीन और आधुनिक इतिहास से अवगत कराने के लिए, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र विभिन्न भारतीय भाषाओं में इतिहास लेखन करा रहा है। वर्तमान में, इतिहास अंग्रेजी भाषा में लिखा जा चुका है। पहले, इस इतिहास को पत्थरों पर उकेरा गया था और विशिष्ट आगंतुकों के प्रवेश द्वार पर, सीढ़ियों की उत्तरी दीवार पर स्थापित किया गया था।

हालाँकि, यहाँ ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण, लोग अक्सर इसे बिना देखे ही आगे बढ़ जाते थे। इसलिए, अब इस इतिहास को पीतल की बड़ी प्लेटों पर उकेरा गया है और इन प्लेटों को पीएफसी की दीवारों पर लगाया गया है, ताकि आगंतुक इसे आसानी से देख सकें और राम मंदिर के इतिहास के बारे में जान सकें।

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