मध्यरात्रि के बाद ही भाषण समाप्त होने के बाद मतदान
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः मध्यरात्रि को 12:55 बजे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन विधेयक पर बहस का जवाब देना शुरू किया। इसके बाद रिजिजू का जवाबी भाषण 1:11 बजे समाप्त हुआ। इसके बाद उपराष्ट्रपति ने ध्वनिमत से सरकारी पक्ष को विजेता घोषित कर दिया। हालाँकि, विपक्षी दल ने मतविभाजन की मांग उठाई।
मतदान के परिणाम प्रातः 2:34 बजे घोषित किये गये। लोकसभा के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक राज्यसभा में भी पारित हो गया। यह विधेयक गुरुवार को संसद के ऊपरी सदन में पेश किया गया। वहां भी इस विधेयक पर करीब 12 घंटे तक चर्चा हुई। इसके बाद इसे राज्य सभा द्वारा अनुमोदित किया गया।
यह विधेयक ऊपरी सदन में पक्ष में 128 तथा विपक्ष में 95 मतों से पारित हुआ। इस मतदान के परिणाम प्रातः 2:34 बजे घोषित किये गये। लोकसभा में इस विधेयक के पक्ष में 288 सांसदों ने मतदान किया, जबकि इसके विरोध में 232 सांसदों ने मतदान किया। अब चूंकि यह विधेयक लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में भी पारित हो चुका है, अतः राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह कानून बन जाएगा।
गौरतलब है कि सत्तारूढ़ पार्टी का दावा है कि मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार के उद्देश्य से यह विधेयक लेकर आई है। हालांकि, संसद के दोनों सदनों में सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी दलों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। यह विधेयक संसद के ऊपरी सदन में 33 मतों के अंतर से पारित हुआ।
राज्यसभा में बिल पर बहस के दौरान जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार की 73 फीसदी मुस्लिम आबादी पसमांदा मुसलमान है। वे पहली बार वक्फ बोर्ड में प्रतिनिधित्व कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लेकर मुसलमानों में अफवाह फैलाई जा रही है, लेकिन राज्यसभा में चर्चा के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
संजय झा के अनुसार, अगर यह कानून लागू होता है तो यह वाकई गरीब मुसलमानों के लिए कारगर साबित होगा। इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने भी राज्य सभा में इस विधेयक का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं करता है, बल्कि केवल वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और राजस्व पर चर्चा करता है।
देवेगौड़ा ने कहा कि भारत में वक्फ बोर्ड के पास 8.7 लाख संपत्तियां और 9.4 लाख एकड़ जमीन है, जिसका अनुमानित मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये है। लेकिन इनका प्रबंधन कुछ शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा अपने लाभ के लिए लंबे समय से किया जा रहा है। उनके शब्दों में, नया वक्फ विधेयक किसी भी तरह से मुसलमानों की धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं करता है।
दूसरी ओर, विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों को परेशान करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि 1995 के वक्फ अधिनियम में कोई बदलाव नहीं हुआ था, इसलिए भाजपा को तब कोई समस्या नहीं थी। खड़गे ने कहा कि इस विधेयक में सर्वेक्षण आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त के स्थान पर जिला मजिस्ट्रेट को जिम्मेदारी दी गई है। इससे मुसलमानों के लिए नई मुश्किलें पैदा होंगी। इस बीच, कांग्रेस के साथ-साथ अन्य विपक्षी दलों का भी दावा है कि वक्फ अधिनियम में यह संशोधन वक्फ बोर्ड की शक्तियों को कम कर रहा है।