राज्यसभा में बैंक संशोधन विधेयक पर विपक्ष ने आगाह किया
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कर्ज नहीं चुकाने वालों को माफी क्यों
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बैंक अधिकारियों को ईमानदार होना होगा
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देश के 48 करोड़ को मुद्रा ऋण दिया गया
नईदिल्लीः कांग्रेस ने बुधवार को राज्यसभा में कहा है कि स्थानीय प्रशासन को सरकार की नीतियों और कानूनों के क्रियान्वयन में ईमानदारी बरतनी होगी और आम जनता के हित में काम करना होगा। कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने आज राज्यसभा में बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक 2024 पर चर्चा शुरु करते हुए कहा कि इस विधेयक से पांच कानूनों में बदलाव होगा, लेकिन क्रियान्वित करने की मंशा ठीक होनी चाहिए।
अधिकारियों को ईमानदारी बरतनी होगी। आम जनता के हित में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि विधेयक से सहकारी बैंकों के प्रबंधन में बदलाव होगा। उन्होंने कहा कि सरकार बैंकों का ऋण लेने भागने वाले लोगों को माफी दे रही है। उन्होंने कहा कि इन लोगों को रोका जा सकता था लेकिन संबंधित अधिकारियों ने ढील दी।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के अरुण सिंह ने कहा कि इस विधेयक से जमाकर्ताओं को सुविधा मिलेगी और बैंकों के कामकाज में पारदर्शिता आयेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से आम जनता को बैंकिंग से जोड़ा गया है। जनधन योजना में 54 करोड़ लोगों का बैंक खाता खोला गया है। विधेयक में नॉमिनी में चार नाम रखने प्रावधान किया जा सकेगा। विधेयक से बैंक को अधिक स्वायत्ता मिलेगी।
श्री अरुण सिंह ने कहा कि सरकार के प्रयासों से 48 करोड़ लोगों को मुद्रा ऋण मिला है। इससे रोजगार के अवसर बढ़े है और बैंकों को दायरा बढ़ा है। इसके अलावा 93 लाख लोगों को पीएम स्वनिधि के अंतर्गत ऋण मिला है। कृषि ऋण में भी वृद्धि हुई है। देश में 36 हजार 501 बैंक शाखायें हैं। धन हस्तांतरण की व्यवस्था सरल और 24 घंटे उपलब्ध है। भाजपा सदस्य ने कहा कि सरकार के प्रयासों से गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) एक प्रतिशत से भी कम हो गयी हैं। इससे बैंकों का नुकसान कम हो रहा है।
तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले ने कहा कि बैंकिंग की पहुंच के आंकड़ों में खेल हो रहा है। बैंकों में जमा राशि घट रही है। वास्तव में ऋण लेने वालों की संख्या में गिरावट हो रही है। महिलाओं को ऋण चुकाने के लिए अपने मंगलसूत्र बेचने पड़ रहे हैं। आम जनता कर और महंगाई से परेशान है। बैंकिंग व्यवस्था में जनता को बार-बार केवाईसी के लिए परेशान किया जाता है। इसकी जरुरत नहीं है।
जनता के लिए अनुपालना बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए बैंकिंग सुधार पर निर्भर है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। द्रमुक के के. आर. एन. राजेश कुमार ने कहा कि बैंकों को ग्राहक सेवाओं में सुधार करना चाहिए। ऋण वितरण की व्यवस्था बाधारहित होनी चाहिए। इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में सहकारी बैंकों को भी शामिल करना चाहिए। ग्रामीण बैंकों को मजबूती दी जानी चाहिए। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आयेगी। वित्त मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय को सहकारी संस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए आपस में समन्वय करना चाहिए। आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि देश के बैंक अभी भी 1990 के दशक की व्यवस्था में ही काम कर रहे हैं। उन्होंने डिजिटल कस्टमर सर्विस का ऑडिट कराये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी केवल 50 प्रतिशत लोग ही बैंकिंग व्यवस्था का लाभ उठा पा रहे हैं।