दिल्ली पुलिस की एक और बड़ी साजिश बेनकाब
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने 27 फरवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद के खिलाफ 2019 के देशद्रोह के मामले को बंद करने की दिल्ली पुलिस की याचिका को मंजूरी दे दी। मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अनुज कुमार सिंह ने इस संबंध में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर आवेदन को मंजूरी दे दी।
आवेदन में कहा गया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना, जिन्होंने पहले राशिद पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी, ने अब इसे वापस ले लिया है। मामले की जांच स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा की गई, जिसने उक्त मामले के अभियोजन से वापस लेने की सिफारिश की। इसे विचार के लिए दिल्ली एनसीटी सरकार के समक्ष रखा गया था। माननीय उपराज्यपाल, दिल्ली ने एफआईआर संख्या 0152/2019 पीएस स्पेशल सेल, दिल्ली के संबंध में स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश को धारा 196 सीआरपीसी के तहत अभियोजन से वापस लेने के लिए मंजूरी दे दी है, आवेदन में कहा गया है।
दिल्ली पुलिस ने 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद कश्मीर की स्थिति के बारे में उनके ट्वीट को लेकर राशिद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।अपने ट्वीट में राशिद ने दावा किया था कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद सशस्त्र बल जम्मू-कश्मीर में नागरिकों को प्रताड़ित कर रहे हैं और घरों में तोड़फोड़ कर रहे हैं।
वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद भारतीय दंड संहिता के तहत देशद्रोह और अन्य अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी। नई दिल्ली में अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने सितंबर 2019 में उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।
इससे पहले दिल्ली पुलिस की तरफ से अनौपचारिक तौर पर भाजपा के सूत्रों के जरिए शेहदा के खिलाफ अनर्गल आरोप प्रसारित किये गये थे और सोशल मीडिया के माध्यम से उसे राष्ट्र विरोधी करार देने के लिए पूरी कोशिश की गयी थी। यह सब होने के बाद भी पुलिस ऐसा कोई साक्ष्य नहीं तलाश पायी, जिससे उसके खिलाफ लगे आरोपों की पुष्टि हो सके। दरअसल जेएनयू आंदोलन के समय से ही शेहला राशिद भाजपा सरकार की आंखों में खटक गयी थी। इसी आंदोलन ने कन्हैया कुमार को एक राष्ट्रीय स्तर का नेता बना दिया है।