बांग्लादेश में सरकार पलटने वाले छात्रों का राजनीतिक दल विवाद
राष्ट्रीय खबर
ढाकाः डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन ने अपने स्थापना के दिन ही विरोध प्रदर्शनों और झड़पों की खबरों के साथ मीडिया में सुर्खियां बटोरीं। इस घटना से ढाका विश्वविद्यालय के मधुर कैंटीन इलाके में तनाव फैल गया। नए छात्र संगठन का एलान करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस निर्धारित की गई थी।
पत्रकार दोपहर से ही मधुर कैंटीन के सामने इंतजार कर रहे थे। हालाँकि, निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी भेदभाव-विरोधी आंदोलन के नेता उपस्थित नहीं हुए। एक समय तो विभिन्न निजी विश्वविद्यालयों के छात्रों ने कैंटीन के सामने धरना दे दिया। वे विभिन्न नारे लगाते रहे। उन्होंने मांग की कि नये संगठन में उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।
उन्हें मेरे स्वर्णिम बंगाल में भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है और डीयू सिंडिकेट को तोड़ो और कुचल दो जैसे नारे लगाते हुए सुना जा सकता है। थोड़ी देर बाद जब वे चले गए तो नए छात्र संगठन के नेता वहां आ गए और प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू करने की कोशिश करने लगे। उन्होंने नारों के माध्यम से संगठन का नाम और सिद्धांतों की भी घोषणा की। उन्होंने कहा, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन जिंदाबाद और शिक्षा एकता आजादी आजादी। इस दौरान निजी विश्वविद्यालय के छात्र मधुर कैंटीन में वापस आ गए। दोनों पक्ष आमने-सामने आकर भिड़ने लगे।
ऐसे में जब ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों समेत छात्र नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस को फिर से शुरू करने के लिए कैंटीन में दाखिल हुए तो प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी जारी रखी और अपनी मांगें उठाईं। अंततः, उत्साह के बीच, लगभग 5:15 बजे, जुलाई आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्रों में से एक, अबू बकर मजूमदार ने नई पार्टी के नाम की घोषणा की।
उन्होंने संगठन की केंद्रीय और ढाका विश्वविद्यालय शाखा समितियों के नेताओं के नाम बताए। समिति के नामों की घोषणा शीघ्र ही कर दी गई। तभी गुस्साए युवक प्रेस कॉन्फ्रेंस की मेज पर आ गए। वे जुलाई-अगस्त के आंदोलन में अपनी भूमिका का हवाला देते हुए छात्र संगठनों से प्रतिनिधित्व से वंचित किये जाने की शिकायत करते रहे।
उन्होंने इस बात की निंदा की कि लगभग सभी पदों पर नियुक्ति ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों को मिल रही है। दोनों पक्ष एक दूसरे के सामने आ गए और नारेबाजी करने लगे। उत्साहित छात्रों के बीच धक्का-मुक्की फिर शुरू हो गई। एक समय तो यह लड़ाई में तब्दील हो गई। निजी विश्वविद्यालयों के छात्रों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा तथा दावा किया कि उन्हें उनके पदों से वंचित किया गया है।