डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद नये राज से पर्दा उठा
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः क्या बांग्लादेश में यूनुस सरकार के सत्ता में आने के पीछे अमेरिकी फंडिंग थी? भारत में चुनावों के लिए अमेरिकी फंडिंग के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टिप्पणी को लेकर अटकलें बढ़ रही हैं। 16 फरवरी को ट्रम्प प्रशासन के सरकारी दक्षता विभाग (डॉज) ने घोषणा की कि उसने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए विभिन्न परियोजनाओं के लिए यूएसएआईडी की 21 मिलियन डॉलर की धनराशि देना बंद कर दिया है।
ट्रम्प लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं। उन्होंने 24 घंटे में दो बार इसका उल्लेख किया। गुरुवार को ट्रंप ने फिर इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा, हम भारत में वोट के लिए 21 मिलियन डॉलर क्यों देंगे? हम इसके बारे में क्यों सोचेंगे? हमारे पास पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं। यह एक रिश्वतखोरी योजना है। ट्रम्प ने बुधवार को मियामी में अपने भाषण में भी यही बात कही।
इस खबर के सामने आने के बाद से ही सत्ताधारी पार्टी भाजपा लगातार विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर हमला बोल रही है। कांग्रेस ने भाजपा पर भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी प्रभाव का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। इनमें एक सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2022 में भारत के लिए नहीं बल्कि बांग्लादेश के लिए 21 मिलियन डॉलर मंजूर किए गए थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 21 मिलियन डॉलर में से 13.4 मिलियन डॉलर पहले ही बांग्लादेश में छात्र आंदोलनों, राजनीतिक और नागरिक आंदोलनों पर खर्च किए जा चुके हैं। यह धनराशि जनवरी 2024 में बांग्लादेश में होने वाले चुनावों से पहले खर्च की गई। शेख हसीना के सत्ता में आने के सात महीने बाद, यह धनराशि उन परियोजनाओं पर खर्च की गई है जो निष्पक्ष चुनाव और स्वतंत्रता पर सवाल उठाती हैं।
विवाद के केंद्र में डॉज की सूची में शामिल दो यूएसएआईडी अनुदान हैं, जिन्हें वाशिंगटन, डीसी स्थित समूह, कंसोर्टियम फॉर इलेक्शन्स एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (सीईपीपीएस) के माध्यम से भेजा गया था। समूह को जटिल लोकतंत्र, अधिकार और शासन प्रोग्रामिंग में विशेषज्ञता प्राप्त है।
याद दिला दें कि खुद शेख हसीना ने भी देश छोड़ने के बाद एक बयान में कहा था कि अगर वह बांग्लादेश के एक द्वीप सेंट मार्टिन को अमेरिका को सौंपने पर सहमति दे देती तो यह सत्ता पलट की साजिश नहीं होती। वैसे देश में दोनों प्रमुख दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप के खेल में भाजपा इसे कांग्रेस के शासन काल का खेल बता रही है जबकि रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि यह पैसा नरेंद्र मोदी के शासनकाल में ही भारत होते हुए बांग्लादेश भेजा गया है।