इससे पहले कभी देश में जनगणना इतनी देर से नहीं हुई
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शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठा
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सदन में पहली बार बयान दिया आज
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खाद्य सुरक्षा नागरिकों का मौलिक अधिकार
नईदिल्लीः राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस की सोनिया गांधी ने जनगणना में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे लाखों भारतीयों की खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। श्रीमती गांधी ने सदन में शून्यकाल के दौरान सभापति की अनुमति से उठाये गये मामले के अंतर्गत सरकार से जनगणना प्रक्रिया में तेजी लाने और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के सभी पात्र नागरिकों के अधिकार सुनिश्चित करने को कहा।
श्रीमती गांधी का सदन में यह पहला वक्तव्य है। वह अप्रैल 2024 में सदन की सदस्य बनी थी। श्रीमती गांधी ने जोर देकर कहा कि वर्ष 2013 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का एनएफएसए एक ऐतिहासिक कानून है, जो 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी आबादी को सब्सिडी वाला खाद्यान्न प्रदान करता है। यह अधिनियम खासतौर पर कोविड-19 संकट के दौरान लाखों गरीब परिवारों के लिए जीवनरक्षक साबित हुआ।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में लाभार्थियों का कोटा वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर तय किया जा रहा है, जो अब प्रासंगिक नहीं है। इससे लगभग 14 करोड़ पात्र लोग अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार जनगणना चार वर्षों से अधिक समय से लंबित है। सरकार ने अभी तक जनगणना कराने के बारे में रुख स्पष्ट नहीं किया है।
श्रीमती गांधी ने इस विलंब को गरीब और वंचित परिवारों के लिए गंभीर संकट करार दिया और आग्रह किया कि वह जल्द से जल्द जनगणना पूरी करे, ताकि हर योग्य नागरिक को एनएफएसए के तहत उचित लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि तुरंत इस मामले पर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि देश के सबसे जरूरतमंद लोगों के अधिकार सुरक्षित रह सकें।