एमएसपी पर पूरी तरह चुप्पी साध लेने के बाद दूसरा बयान
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नारियल पर समर्थन मूल्य की चर्चा की
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फसल बीमा योजना पर जानकारी दी गयी
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एक किसान की भी भरपाई सरकार करेगी
नईदिल्लीः कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में मंगलवार को कहा कि किसानों की आय बढ़ाना प्रधानमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता है। श्री चौहान ने एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि किसानों की आय बढ़ाना प्रधानमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
नारियल उत्पादन में भारत दुनिया में शीर्ष देश है और हम बहुत ही कम समय में नारियल उत्पादन को 140 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 153 लाख मीट्रिक टन करने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने मिलिंग कोपरा (तेल पेराई वाला नारियल) और बॉल कोपरा ( घरों में इस्तेमाल होने वाला नारियल) के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी हुई है।
इस बढ़ोतरी के बाद किसानों को मिलिंग कोपरा के लिए 11,582 रुपये प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के लिए 12,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से एमएसपी मिल रहा है । उन्होंने कहा कि 2014 में मिंिलग कोपरा के लिए किसानों को 5,250 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी दी जाती थी जबकि बॉल कोपरा के मामले में यह दर 5,500 रुपये प्रति क्विंटल थी।
उन्होंने एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि आंध्र प्रदेश में नारियल का उत्पादन बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं, जिन पर काम किया जा रहा है। नारियल क्षेत्र का विस्तार किया गया है, जिससे किसानों को लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि नारियल के उपर अलग अलग तरह की जो बीमारी आती है उस पर निपटने के लिए अनेक उपाय किये गये हैं। किसानों का नुकसान हो तो उसकी भरपाई हो जाए, यह सरकार की प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना इसी के लिए लाया गया है।
श्री चौहान ने कहा है कि फसल बीमा योजना में किसानों को बिना विलंब के भुगतान हो रहा है तथा यदि कहीं भी भ्रष्टाचार की बात सामने आई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। श्री चौहान ने मंगलवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि फसल बीमा योजना में किसानों को बिना विलंब के भुगतान हो रहा है।
उन्होंने आश्वस्त करते हुए कहा कि यदि कहीं भी भ्रष्टाचार की बात सामने आई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसानों को अधिकतम लाभ देने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकार में फसल बीमा योजना में खमियां थीं और उसके तहत दावों के भुगतान में छह महीने और साल भर का समय लगता था।
उन्होंने कहा कि अब इस व्यवस्था को बदला गया है और अगर बीमा कंपनी विलंब करेगी तो उसे 12 प्रतिशत ब्याज देना पड़ेगा । उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार में पुरानी फसल बीमा योजना के तहत दावे के निर्धारण की इकाई तहसील होती थी। इसका मतलब यह था कि पूरी तहसील में फसल बर्बाद होने पर ही बीमा की राशि मिलती थी।
हमारी सरकार ने इसमें बदलाव किया और फसल बीमा योजना की इकाई गांव को बनाया है। अब अगर एक किसान का भी नुकसान होगा तो पूरी भरपाई होगी। श्री चौहान ने बताया कि पहले फसल बीमा योजना सिर्फ एक बीमा कंपनी के जरिये संचालित होती थी, लेकिन अब कई बीमा कंपनियां इससे जुड़ी हैं।