झारखंड और पश्चिम बंगाल के नये इलाकों में जंगल बढ़ने से बदलाव
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बेहोश हो गयी थी गांव की महिला
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बिना रेडियो कॉलर वाले बाघ की चर्चा
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जंगल बढ़ा तो इलाकों में वापसी हुई है
राष्ट्रीय खबर
पुरुलियाः बाहर से आया बाघ शायद झारखंड लौट गया है, इस चर्चा के बीच ही बाकुंड़ा से बाघ देखे जाने की नई जानकारी सामने आयी है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार बाकुंड़ा के डुबूखाना गांव की राधिका मांडी गुरुवार दोपहर गांव के पास जंगल में गई थी। वह किसी तरह वहां से घर लौटी। घर लौटने पर वह बेहोश हो गयी।
कुछ देर बाद होश में आने पर उसने बताया कि उसने जंगल में बहुत नजदीक से एक बाघ देखा था। खबर मिलते ही वनकर्मी गांव पहुंचे। उन्होंने राधिका के इलाज की भी व्यवस्था की। राधिका बोली, मैं जंगल में गयी थी। अचानक मैंने देखा कि एक विशाल बाघ मेरी ओर घूर रहा है। मेरे हाथ-पैर ठंडे थे। मैं किसी तरह खुद पर नियंत्रण रखी और भाग निकली।
वर्ष के अंत में बाघिन जीनत राज्य के इसी इलाके में चली आयी थी। उसे किसी तरह पकड़कर सिमलीपाल वापस भेजा गया है। इस दौरान वह लगातार 10 दिनों तक जंगल में घूमती रही। झारखंड-पुरुलिया सीमा पर बाघों की मौजूदगी के कारण पुरुलिया, बांकुड़ा और झाड़ग्राम के वन क्षेत्रों में बाघों का खौफ बढ़ गया है। पिछले सप्ताह भी उसके पैरों के निशान देखे गए थे।
ऐसे माहौल में बंगाल में बाघों के लगातार आने की सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व के उप निदेशक प्रजेशकांत जेना ने दावा किया है कि बंगाल सीमा पर यह बाघ पलामू टाइगर रिजर्व से निकल गया है। जिससे वन अधिकारियों का मानना है कि पुराना बाघ गलियारा फिर से खुल गया है।
क्योंकि, वन विभाग के ट्रैप कैमरे की तस्वीरों के अनुसार यह बाघ छत्तीसगढ़ के रास्ते पलामू से बंगाल की सीमा में प्रवेश कर गया है। 700 किलोमीटर लंबे इस मार्ग को कभी टाइगर कॉरिडोर के नाम से जाना जाता था। बाद में जब वन क्षेत्र कम हो गया तो इन जंगलों से बाघ भी गायब हो गये थे। नये वनों के विस्तार की वजह से अब बाघ जैसे एकांतप्रिय जानवर को नये इलाके पसंद आने लगे हैं।
दरअसल, जीनत के जाने के बाद पिछले महीने में सिर्फ एक बाघ नहीं, बल्कि कम से कम दो नए बाघों ने जंगल के अलग-अलग इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। वन अधिकारियों के अनुसार, आने वाले दिनों में बंगाल के जंगलों में बाघ अधिक संख्या में दिखाई देंगे। एक वन अधिकारी मजाक करते हुए कहते हैं, जिस तरह से हमने पिछले दशक में वन क्षेत्र बढ़ाया है, उससे बंगाल में बाघों का दैनिक आवागमन शुरू हो सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में वन विभाग ने राज्य में वन वृद्धि पर जोर दिया है। इसका परिणाम यह हुआ कि अब शॉल के घने जंगल पूरे जंगल में फैल गए हैं। हाल ही में न केवल जंगल का घनत्व बढ़ा है, बल्कि वहां जंगली जानवरों की संख्या भी बढ़ी है। भारतीय वन सर्वेक्षण के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्य में वन क्षेत्र में .7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वन अधिकारियों के अनुसार, पुरुलिया, बांकुरा और झारग्राम के घने जंगलों में छोटे-छोटे जल स्रोत भी हैं। गहरे जंगल और पानी बाघों के लिए आदर्श स्थान हैं। परिणामस्वरूप, हाथियों के बाद बाघों और बाघिनों का आगमन भी हर साल बढ़ेगा।