कोविड से लेकर अब तक काम संतोषजनकः नरेंद्र मोदी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की प्रगति से प्रधानमंत्री अवगत हुए
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एकीकृत उपायों को बढ़ावा देने का परिणाम
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स्वास्थ्य सेवा संरचना में भी बढ़ोत्तरी हुई
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शिशु मृत्युदर में उल्लेखनीय कमी आयी है
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत प्रगति से अवगत कराया गया। मंत्रिमंडल को मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, 5 वर्ष से कम आयु वर्ग की मृत्यु दर और कुल प्रजनन दर में त्वरित गिरावट और टीबी, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, टीबी, कुष्ठ रोग, वायरल हेपेटाइटिस आदि विभिन्न रोगों के कार्यक्रमों के संबंध में प्रगति और राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन जैसी नई पहलों से भी अवगत कराया गया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने मानव संसाधनों के विस्तार, महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों के लिए एकीकृत उपायों को बढ़ावा देने के अपने अथक प्रयासों के माध्यम से भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पिछले तीन वर्षों में एनएचएम ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, रोग उन्मूलन और स्वास्थ्य सेवा इन्फ्रास्ट्रक्चर सहित कई क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति की है। खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान मिशन के प्रयास भारत के स्वास्थ्य सुधारों के लिए अभिन्न रहे हैं, और इसने पूरे देश में अधिक सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एनएचएम की एक प्रमुख उपलब्धि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के भीतर मानव संसाधनों में उल्लेखनीय वृद्धि रही है। वित्त वर्ष 2021-22 में, एनएचएम ने जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर (जीडीएमओ), विशेषज्ञ, स्टाफ नर्स, एनएनएम, आयुष डॉक्टर, संबद्ध स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधकों सहित 2.69 लाख अतिरिक्त स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की नियुक्ति की सुविधा प्रदान की। इसके अतिरिक्त, 90,740 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) नियुक्त किए गए। बाद के वर्षों में यह संख्या बढ़ी, वित्त वर्ष 2022-23 में 4.21 लाख अतिरिक्त स्वास्थ्य सेवा पेशेवर नियुक्त किए गए, जिनमें 1.29 लाख सीएचओ शामिल थे, और वित्त वर्ष 2023-24 में 5.23 लाख कर्मचारी नियुक्त किए गए, जिनमें 1.38 लाख सीएचओ शामिल थे। इन प्रयासों ने खासकर जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवा वितरण को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
एनएचएम कार्यक्रम ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खासकर कोविड-19 महामारी के जवाब में। स्वास्थ्य सुविधाओं और श्रमिकों के मौजूदा नेटवर्क का उपयोग करके, एनएचएम जनवरी 2021 और मार्च 2024 के बीच 220 करोड़ से अधिक कोविड-19 वैक्सीन खुराक देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके अतिरिक्त, एनएचएम के तहत दो चरणों में लागू किए गए भारत कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज (ईसीआरपी) ने महामारी को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को और मजबूत करने में मदद की।
भारत ने एनएचएम के तहत प्रमुख स्वास्थ्य संकेतकों में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है। मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) 2014-16 में 130 प्रति लाख जीवित जन्मों से घटकर 2018-20 में 97 प्रति लाख हो गया है, जो 25 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है। 1990 के बाद से इसमें 83 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो वैश्विक गिरावट 45 प्रतिशत से अधिक है।
इसी तरह, 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (अंडर5 मोर्टलिटी रेट) 2014 में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 45 से घटकर 2020 में 32 हो गई है, जो 1990 के बाद से 60 प्रतिशत की वैश्विक कमी की तुलना में मृत्यु दर में 75 प्रतिशत की अधिक गिरावट को दर्शाता है। शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 2014 में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 39 से घटकर 2020 में 28 हो गई है। इसके अलावा, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के अनुसार, कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 2015 में 2.3 से घटकर 2020 में 2.0 हो गई है। ये सुधार संकेत देते हैं कि भारत 2030 से पहले मातृ, बाल और शिशु मृत्यु दर के लिए अपने एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर है।