केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सरकार ने थैली खोली
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आयोग का गठन शीघ्र पूरा होगा
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एक साल में आयोग की सिफारिशें कैसे
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दिल्ली के चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं लोग
राष्ट्रीय खबर
नई दिल्ली: गुरुवार को एक बड़े फैसले में सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और पेंशनभोगियों के भत्ते में संशोधन के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन का फैसला किया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 8वें वेतन आयोग के गठन का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया है। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 2026 में समाप्त होगा।
मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी। केंद्र सरकार के 49 लाख से अधिक कर्मचारी और करीब 65 लाख पेंशनभोगी हैं। इस नये वेतन आयोग की सिफारिशों से वेतन और भत्तों के अलावा पेंशन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि सभी स्तरों पर इससे आमदनी बढ़ जाती है।
मंत्री ने आगे कहा कि 2025 में नए वेतन आयोग के गठन से यह सुनिश्चित होगा कि सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इसकी सिफारिशें प्राप्त हो जाएं। वैष्णव ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों तथा अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। 1947 से अब तक सरकार ने सात वेतन आयोगों का गठन किया है। सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे, लाभ और भत्ते तय करने में वेतन आयोग की अहम भूमिका होती है। अधिकांश सरकारी संगठन आयोग की सिफारिशों का पालन करते हैं।
सातवें वेतन आयोग का गठन 2014 में किया गया था और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 को लागू की गई थीं। सातवें वेतन आयोग की समाप्ति से एक साल पहले सरकार ने 2026 में आठवें वेतन आयोग के गठन का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की कि गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया। मंत्री ने संवाददाताओं को यह भी बताया कि आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी। 7वें वेतन आयोग की स्थापना 2016 में हुई थी और इसका कार्यकाल 31 दिसंबर, 2025 को समाप्त होगा।
वैष्णव ने कहा कि एक साल पहले प्रक्रिया शुरू करने से 7वें वेतन आयोग के पूरा होने से पहले सिफारिशें प्राप्त करने और उनकी समीक्षा करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन ढांचे को संशोधित करने और पेंशन भुगतान निर्धारित करने के लिए लगभग हर दशक में एक वेतन आयोग का गठन करती है। 1947 से अब तक सात वेतन आयोगों की स्थापना की जा चुकी है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को मोदी सरकार ने जनवरी 2016 में लागू किया था। चौथे, पांचवें और छठे वेतन आयोग का कार्यकाल भी 10 साल का था। सिफारिशों में सरकारी अधिकारियों के वेतन में 14 फीसदी की बढ़ोतरी शामिल थी।
दूसरी तरफ दिल्ली में इस बात की चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव को देखकर ही मोदी सरकार ने ऐन वक्त पर ऐसा एलान किया है। दिल्ली में ही सबसे अधिक केंद्र सरकार के कर्मचारी रहते हैं और जो विभिन्न कारणों से वर्तमान सरकार से पूरी तरह संतुष्ट भी नहीं चल रहे हैं।
जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार ने भाजपा के लिए काफी अहम माने जा रहे चुनाव से पहले बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय कर्मचारी को इस घोषणा का लंबे समय से इंतजार था। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले इसे भाजपा का बड़ा दांव भी बताया जा रहा है। जानकारों के अनुसार दिल्ली में केंद्रीय कर्मचारियों की अच्छी खासी संख्या है। ऐसे में इस घोषणा से पार्टी चुनाव में निश्चित रूप से इस घोषणा के वोट में बदलने की उम्मीद लगा रही है। दूसरी तरफ इस फैसले की उल्टी व्याख्या भी होने लगी है कि केंद्र सरकार को दिल्ली के चुनाव का परिणाम पहले ही समझ में आने लगा है।