एक को पिंजड़े में पकड़ा तो दूसरा भी चला आया
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बकरे की लालच में फंस गया बाघ
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गोरचक इलाके में नया बाघ आया
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वन विभाग के लोग यहां भी पहुंचे
राष्ट्रीय खबर
कैनिंगः एक बाघ के पकड़े जाने के 24 घंटे से भी कम समय बाद, मोइपीठ गांव में दहशत का माहौल है, क्योंकि कोई और बाघ इस इलाके में आ गया है। मोइपीठ के रॉयल बंगाल टाइगर को कल रात पिंजरे में बंद कर दिया गया। यह जानने के बाद गांव में राहत की लहर दौड़ गई। उस दिन बाघ को दूर घने जंगल में छोड़ दिया गया।
बाघ को पकड़े हुए अभी 24 घंटे भी नहीं बीते हैं। इस बार बाघ का खौफ मोइपीठ के भुवनेश्वरी ग्राम पंचायत क्षेत्र के गोरचक इलाके में है। बाघ नदी पार कर बस्ती के पास के जंगल में घुस गया। इलाके के लोगों ने यह जानकारी दी है। ग्रामीणों का दावा है कि उस इलाके में गांव के पास बाघ की मौजूदगी का पता चला है।
गांव के एक मृत मवेशी का शव पास के जंगल में फेंक दिया गया। बाद में कुछ स्थानीय लोगों ने इसे एक बाघ द्वारा घसीटते हुए देखा। इस क्षेत्र में एक और बाघ है! जैसे ही यह खबर फैली, दहशत फैल गई। यह बाघ अजमलमारी नंबर 1 जंगल से मकरी नदी पार करके आया था। प्रारम्भ में तो यही सोचा गया था।
जैसे ही यह खबर वन विभाग तक पहुंची, कर्मचारी मौके पर पहुंच गए। वनकर्मी कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते। बाघ कहां छिपा है, इसका भी प्रारंभिक अनुमान लगा लिया गया है। इसके चलते वन विभाग ने जंगल को जाल से घेरने का काम शुरू कर दिया है। बाघ रात में भी इलाके में घूम सकते हैं। इसीलिए निवासियों को अपने घरों से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
यदि आवश्यक हो तो यहां एक पिंजरा भी रखा जा सकता है। वनकर्मी भी इस संभावना पर चर्चा कर रहे हैं। पिछले सात दिनों से मोइपीठ क्षेत्र में बाघ का आतंक बना हुआ है। बाघ कई बार नदी पार कर इलाके में घुस आए हैं। और इसके कारण स्थानीय लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। यहां के निवासी लकड़ियां इकट्ठा करने के लिए भी जंगल में नहीं जा पा रहे हैं।
इससे पहले कल रात मोइपीठ में एक बाघ को पिंजरे में बकरी का चारा डालकर पकड़ा गया। यह स्वास्थ्य जांच है। सोमवार दोपहर को वन विभाग ने बाघ को नदी के पास ले जाकर धुलीभासनी जंगल में छोड़ दिया। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से रॉयल बंगाल टाइगर बार-बार अजमलमारी जंगल से इलाके में घुस आए हैं।
हर बार वन विभाग ने उसे वापस सुंदरबन के घने जंगलों में भेजने का प्रबंध किया। पिछले दो सप्ताह में बाघों ने इस क्षेत्र पर लगभग चार बार हमला किया है। लेकिन हर बार बाघ अपने आप ही जंगल में चला जाता था। कुछ दिन पहले जब मोइपीठ में बाघ जंगल में वापस आ गया तो ग्रामीण भयभीत हो गए। हालांकि, देर रात बाघ को पिंजरे में बंद कर दिए जाने के बाद स्थानीय लोगों का डर कम हो गया है।