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बाघिन जीनत अब पुरुलिया के जंगल जा पहुंची, देखें वीडियो

वन विभाग को अब तक पकड़ने  में नहीं मिली कामयाबी

  • बार बार चमका दे रही है यह बाघिन

  • पहले कई दिनों तक चाकुलिया में थी

  • गांव में माइक के जरिए आगाह किया

राष्ट्रीय खबर

पुरुलियाः उड़ीसा के सिमलीपाल से निकली बाघिन अब झारखंड छोड़ पश्चिम बंगाल के इलाके में आ पहुंची है। पहले यह झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर झाड़ग्राम और चाकुलिया के इलाकों में पायी गयी थी। वहां भी कई शिकारों को अपना भोजन बनाने के दौरान ही उसे बेहोश करने की कोशिश असफल रही थी।

विभाग द्वारा उसे पकड़ने के लिए लगाये गये चारे को लेकर वह निकल गयी जबकि इस दौरान वन विभाग के विशेषज्ञ उसे बेहोश करने वाला इंजेक्शन लगाने में नाकामयाब रहे। रेडियो कॉलर होने की वजह से वह कहां है, इसकी जानकारी मिलती रहती है। इसी वजह से अब यह पता चला है कि सिमिलिपाल रिजर्व फॉरेस्ट से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बंदवान इलाके में भटक गई है।

देखें इसका वीडियो

यह जानवर झाड़ग्राम जिले से पुरुलिया पहुंची, जहां यह कई दिनों तक रही थी। दक्षिण बंगाल के इस क्षेत्र में, जहां जंगल बिखरे हुए हैं, बाघों की आबादी नहीं है। वन अधिकारियों ने कहा कि यहां बाघों की आबादी को बनाए रखने के लिए कोई शिकार आधार नहीं है। बाघिन को महाराष्ट्र से सिमिलिपाल लाया गया था और उसे रेडियो कॉलर लगाया गया है।

स्थानीय ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक यह बाघिन शायद बांदोवान थाना क्षेत्र के राइका हिल्स के केशरा जंगल में है। ग्रामीणों का यह आकलन उस इलाके में वन विभाग और सुरक्षा बलों के वाहनों के आवागमन की वजह से है। लिहाजा इस जंगल से सटे गांवों में दहशत फैल गई है। गांवों में माइकिंग के जरिए चेतावनी अभियान चलाया जा रहा है।

लोग घरों में नजरबंद हैं। सड़कें लगभग खाली हैं। लोगों ने देखा कि अब अर्धसैनिक बल भी झाड़ियों में बाघों की खोज के लिए निकल पड़े हैं। खोजी कुत्ते की मदद से तलाश जारी है। रविवार की सुबह सीआरपीएफ के जवान भी जंगल में जाते नजर आये थे। जंगल से सटे गांव में रूट मार्च जारी है। बाघिन को खोजने के लिए खोजी कुत्ते गोल्डी को लाया गया।

वह आईईडी ढूंढने में उतना ही कुशल है जितना कि बाघ, शेर और हाथी जैसे जंगली जानवरों को ढूंढने में। शुक्रवार को वन विभाग के अधिकारियों ने झाड़ग्राम के बेलपहाड़ी के शिमुलपाल स्थित कटचुआ जंगल में उसकी गतिविधियों का पता लगाया। लेकिन रात में बाघिन ने अपना स्थान बदल लिया। घूमते-घूमते हम मयूरझोरना के जंगल में पहुंचे, जो केकड़ों से भरा हुआ था। शनिवार को जुजुरधारा गांव के पास बाघिन की गतिविधियां देखी गईं, लेकिन वह नजर नहीं आई।

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल वन विभाग उसी रास्ते से बाघिन को वापस सिमिलिपाल ले जाने की कोशिश कर रहा है। राज्य के वन अधिकारी ने कहा कि जानवर को पकड़ने और मानव-पशु संघर्ष से बचने के लिए इसे जंगली आवास में छोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है।

भीड़भाड़ से बचने के लिए, अधिकारियों ने जानवर के सटीक स्थान का खुलासा नहीं किया है। स्थानीय पुलिस और वन अधिकारी लोगों से जंगलों में न जाने की अपील कर रहे हैं। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवान मानव-पशु संघर्ष से बचने में पुलिस की सहायता कर रहे हैं। जून 2018 में, राज्य के इसी क्षेत्र में भटक कर आए एक बाघ को स्थानीय लोगों ने मार डाला था। पश्चिम बंगाल के सुंदरबन के मैंग्रोव जंगलों में लगभग 100 बाघों की आबादी है पर दक्षिणी इलाके में बाघ नहीं है।

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