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सिक्ख आतंकवाद का बढ़ता प्रभाव

बुधवार को स्वर्ण मंदिर के बाहर सेवादार की ड्यूटी निभा रहे शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर एक पूर्व आतंकवादी ने नजदीक से गोली चलाई, लेकिन सादे कपड़ों में मौजूद पुलिसकर्मी ने उसे काबू कर लिया, जिससे वह बच गया।

यह दुस्साहसिक हमला मीडियाकर्मियों के कैमरों में कैद हो गया, जो 2007 से 2017 तक पंजाब में अकाली दल सरकार द्वारा की गई गलतियों के लिए बादल की प्रायश्चित के दूसरे दिन को कवर करने के लिए सिख तीर्थस्थल के बाहर एकत्र हुए थे।

लेकिन इस एक घटना ने यह संकेत दे दिया कि पंजाब में फिर से आतंकवाद सर उठाने की कोशिश कर रहा है, जिसे बार बार कनाडा सहित अन्य देशों में बैठे आतंकवादी हवा दे रहे हैं। कल की घटना के टेलीविजन फुटेज में दिखाया गया कि शूटर धीरे-धीरे बादल की ओर बढ़ रहा था, जो पैर में फ्रैक्चर के कारण व्हीलचेयर पर बैठे थे और अपनी जेब से पिस्तौल निकाल रहा था।

बादल के पास सादे कपड़ों में खड़े एक पुलिस अधिकारी ने तुरंत हस्तक्षेप किया और हमलावर के हाथ पकड़ लिए। हाथापाई में एक गोली बादल के पीछे की दीवार पर लगी, जिससे वह बाल-बाल बच गए। जल्द ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के टास्क फोर्स के सदस्यों ने भी हस्तक्षेप किया।

बादल को जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त है। पुलिस ने हमलावर की पहचान डेरा बाबा नानक निवासी नारायण सिंह चौरा के रूप में की है, जो एक पूर्व आतंकवादी है। हमले के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने उसे वहां से हटा दिया।

अमृतसर के पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा कि पुलिस की सतर्कता के कारण बादल पर हमला विफल हो गया। चौरा को सबसे पहले एक पुलिस अधिकारी ने देखा, क्योंकि वह एक पूर्व आतंकवादी है और उसका आपराधिक इतिहास है।

जब उसने अपना हथियार निकाला, तो पुलिस अधिकारी ने उसके हाथ पकड़ लिए और परिणामस्वरूप गोली ऊपर की ओर चली गई। भुल्लर ने कहा, नारायण सिंह चौरा को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

हमले में इस्तेमाल किया गया हथियार बरामद कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की सभी कोणों से जांच की जाएगी। चौरा से पूछताछ के बाद हमले के पीछे के मकसद का पता लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह स्वर्ण मंदिर में अकेले आया था।

एक सवाल के जवाब में भुल्लर ने कहा कि मंदिर में सुरक्षा तैनाती पर्याप्त थी। उन्होंने कहा कि धार्मिक भावनाओं से जुड़ी होने के कारण पुलिस तलाशी नहीं ले सकती।

स्वर्ण मंदिर परिसर में सुरक्षा की विस्तृत तैनाती की गई है। उन्होंने बताया कि एक सहायक महानिरीक्षक के नेतृत्व में करीब 175 पुलिसकर्मियों को वहां तैनात किया गया है। बादल अकाल तख्त द्वारा घोषित धार्मिक दंड भुगत रहे हैं।

घटना के बाद उन्होंने सुरक्षा घेरे में रहते हुए अपनी तपस्या जारी रखी। एक हाथ में भाला थामे और नीली सेवादार वर्दी पहने शिअद नेता स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर बैठे थे।

उनके गले में एक छोटा सा बोर्ड लटका हुआ था, जिस पर उनके कुकर्मों को स्वीकार किया गया था। पूर्व उपमुख्यमंत्री की पत्नी और बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर बादल अपने पति से मिलने स्वर्ण मंदिर पहुंचीं। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और शिअद नेताओं ने बादल पर हमले की कड़ी निंदा की।

वरिष्ठ शिअद नेता दलजीत सिंह चीमा, जो धार्मिक दंड भुगत रहे हैं, ने इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, पंजाब के लिए यह एक बड़ी घटना है। हम राज्य को कहां ले जा रहे हैं? मैं पंजाब के मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि पंजाब किस दिशा में जा रहा है।

यह कानून-व्यवस्था की 100 प्रतिशत विफलता है। मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा, हमलावर को मौके पर ही पकड़ लिया गया। मैं सुरक्षाकर्मियों को त्वरित कार्रवाई के लिए धन्यवाद देता हूं। चीमा ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की। उन्होंने कहा, हम कहते रहे हैं कि अकाली नेतृत्व को खत्म करने की साजिशें चल रही हैं।

पूरी साजिश का पर्दाफाश होना चाहिए। एक सवाल के जवाब में चीमा ने कहा कि अगर आरोपी मंगलवार से ही घूम रहे थे, तो पुलिस और प्रशासन किस बात का इंतजार कर रहा था? उन्होंने कहा, मैं पंजाब के डीजीपी से भी पूछना चाहता हूं। किसी को तो जवाबदेह होना ही होगा। इसके बीच सामाजिक स्तर पर इस बात पर मंथन होना चाहिए कि नफरती भाषण का असर कहां तक पहुंचता है और सामाजिक ताना बाना के बीच के छिद्रों से यह जहर कहां तक प्रभाव डालता है। आतंकवाद से पीड़ित पंजाब की हालत का अनुभव जिन्हें है, वे कतई नहीं चाहेंगे कि दोबारा वह नौबत आये।

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