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बोतल की खनक में दबी शहनाई की गूंज!

प्रकाश सहाय

काफी पहले विज्ञापन आता था टीवी में, बारातियों का स्वागत पान पराग से ..

अब मॉडर्न जमाना है ..बाराती बिना स्कॉच बोतल के बोलते हिलते डुलते तक नहीं .. नागिन डांस का तो नाम भी नहीं बचा।

बिहार के किसी समारोह में करीब जाने पर ही पता चलता है कि श्राद्ध है या शादी ..दरअसल शादी बियाह में भी श्राद्ध जैसी ही मायूसी छाई रहती है ..ना हल्ला ना हंगामा..ना डांस ना हुल्लड़ …सब कुछ एकदम नीरस…

दुल्हा के दोस्त तो साफ बोल देते हैं बिहार में तो तुमरा बारात नहीं जायेंगे ..

शादी की इस “आपदा ” से निपटने के लिए बिहारियों ने जुगत भिड़ाई है…

बिहार में अब

डेस्टिनेशन मैरेज ” की शर्त हर शादी में होने लगी है …इस क्रेज के पीछे हाई सोसाइटी वाला

ठस्सा नहीं बल्कि सिर्फ बोतल की चाह है ..

कोई दार्जिलिंग गोवा पूरी शिमला की फरमाइश  नहीं करता …

ख्वाहिश बस इतनी सी है कि जहां बारात जाए वहां शहनाई की गूंज हो न हो जाम प्याले की खनक जरूर होनी चाहिए ..

हद तो यह है कि बिहार में वधू पक्ष के लोग भी झारखंड या यूपी में जाकर शादी करने की जोर देते हैं…

इस बिहारी क्रेज से झारखंड की बल्ले बल्ले है ..

कोडरमा..हजारीबाग.देवघर और रांची में होटल और शादी बैंक्वेट हॉल रिसॉर्ट के हाथ पांव सर सब घी में हैं ..

जब से शादी का लगन शुरू हुआ है रांची के किसी बड़े छोटे होटल में एक कमरा मिलना भी मुश्किल है ..

यही नहीं तुपुदाना रातु रिंगरोड पर बने रिसोर्ट भी फुल चल रहे हैं ..देवघर का भी यही हाल है..

हजारीबाग में तो हर महीने नया होटल और रिजॉर्ट खुलने लगे हैं ..

कोडरमा में भी दूरदर्शी व्यापारी रिजॉर्ट खोलने के फिराक में है ..

विवाह के रीति रिवाज.. संस्कार ..पूजा पाठ..और गरिमा तिलहंडे में नजर आ रहे हैं ..

शहनाई की शुभ धुन की गूंज हो ना हो जाम भरे प्यालों की खनक होना जरूरी है …

बिहार से आने वाले ऊंट की भांति कई लीटर शराब गटक जाते हैं ..

बिहार के शादी विवाह में मुंह में रुमाल लेकर नागिन डांस का जलवा अब झारखण्ड में दिखने लगा है …

बिहारी जहां पलटू राम को कोस रहे हैं वहीं झारखंडी नीतीश बाबू के नीति की जयकार लगा रहे हैं

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