ऊपरी सदन में देश के बॉयलर की सुरक्षा पर सभी ने चिंता जतायी
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पीयूष गोयल ने पेश किया विधेयक
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यह सिर्फ वाणिज्य मंत्रालय का मसला नहीं
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इसके फटने की खबरें अक्सर आती रहती है
नयी दिल्लीः विपक्ष ने बायलर के लिए सुरक्षा मानकों को कड़ाई से पालन कराये जाने की बुधवार को राज्यसभा में मांग की। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा राज्यसभा में बायलर विधेयक 2024 पेश किए जाने पर इस पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने यह मांग की। चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के नीरज दांगी ने कहा कि यह मामला वाणिज्य मंत्रालय का नहीं है।
उन्होंने कहा कि बायलर हर उद्योग में उपयोग होता है लेकिन इसको लेकर बहुत दुविधा है। बायलर के अक्सर फटने की खबरें आती है और उसमें कामगार हताहत होते हैं, इसलिए इसमें सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस की मौसम बी नूर ने कहा कि बायलर के लिए सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू करने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के बृज लाल ने कहा कि सरकार अंग्रेजों के जमाने के कानून को बदलने का काम कर रही है। बायलर हर उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है और इसका बेहतर रखरखाव जरूरी है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जॉन ब्रिटास ने कहा कि यह विधेयक घोषित उद्देश्यों के अनुरुप नहीं है। सुरक्षा मानकों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। बीजू जनता दल की सुलता देव ने कहा कि ओडिशा में ज्यादा उद्योग लग रहे हैं तो सुरक्षा मानकों की जरुरत है। सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
बायलर की निगरानी की जानी चाहिए। वाईएसआर सीपी के गोला बाबूराव ने कहा कि श्रमिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। बायलर के फटने से पर्यावरण को भी क्षति पहुंचती है और जीव जंतु मारे जाते हैं। बायलर दुर्घटना में मारे गये श्रमिकों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी के सीमा द्विवेदी ने कहा कि इस विधेयक से सुरक्षा मानकों में सुधार होगा और पर्यावरण की रक्षा हो सकेगी। विधेयक में तकनीक में हुए बदलाव को ध्यान में रखा गया है। बायलर की निगरानी के लिए डिजीटल और प्रत्यक्ष व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। बायलर बनाने में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग होगा। पुराने बायलर को बदलने का निर्देश दिये जाएगें। बायलर का संचालन केवल प्रशिक्षित कर्मचारी ही कर सकेंगे। अनुपालन पारदर्शी और सरल होगा।
भारतीय जनता पार्टी के डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि सरकार नवाचार, सुरक्षा प्रदान करना और विसंगतियों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। इस विधेयक से विवाद कम होंगे। नये उद्योग आ रहे हैं जिसके कारण नये नियमों की आवश्यकता है। पुरानों कानूनों में बदलाव किया जा है। छोटे उद्योगों को बढावा दिया जा रहा है।
अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरै ने कहा कि विधेयक में केंद्र और राज्यों के अधिकारों में स्पष्ट किया जाना चाहिए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पीपी सुनील ने कहा कि सरकार को कारोबार की अनुकूलता के साथ साथ श्रमिकों के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए। भाजपा के दीपक प्रकाश ने कहा कि यह विधेयक सराहनीय है।
यह 100 वर्ष पुराना है और इसमें बदलाव आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पुराने कानूनों का अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पडता है। नये भारत में नये कानूनों की जरुरत है। भाजपा के नरेश बंसल ने कहा कि पुराना कानून अंग्रेजों ने बनाया था जिसका उद्देश्य तत्कालीन सरकार को संरक्षित करना था। नये समय में नये कानून की जरुरत है और यह विधेयक इसी के अनुरुप है। विदेशी कंपनियां नयी प्रौद्योगिकी के साथ भारत में उद्योग स्थापित करना चाहती है। यह विधेयक इसके उद्देश्य की पूर्ति करता है। श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी- शरदगुट की डॉ. फौजिया खान ने कहा कि विधयेक में पर्यावरण को अनदेखा किया जा रहा है। निगरानी व्यवस्था में भी खामियां दिखायी दे रही हैं। भोपाल गैस त्रासदी को देखते हुए सावधानी बरती जानी चाहिए। तीसरे पक्ष से सत्यापन और मूल्यांकन कराना पर्याप्त नहीं है। सुरक्षा प्रावधानों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
भाजपा के शंभु शरण पटेल ने कहा कि विधेयक में श्रमिकों की सुरक्षा का प्राथमिकता दी गयी है। यह आधुनिक जरुरतों के अनुरुप है। केंद्र और राज्य सरकारों का अधिकारों का विस्तृत वर्णन है जिससे टकराव की गुंजाइश नहीं है। विधेयक में आपराधिक प्रावधान हटा दिये गये हैं जिससे उद्योगों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। भाजपा के सामिक भट्टाचार्य ने विधेयक का समर्थन किया।