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कपड़ा नहीं कर्म से योगी बनता है कोईः अखिलेश यादव

सपा प्रमुख का यूपी के चुनाव प्रचार में सीएम पर चुनावी तंज

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी सीएम पर कटाक्ष करते हुए कहा, कपड़े पहनने से नहीं, कर्म से योगी बनते हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर उनके भगवा वस्त्र को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि कपड़े पहनने से कोई योगी नहीं बनता, बल्कि सोच और काम से बनता है।

उन्होंने सरकार की नियमित बुलडोजर कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोके जाने के संदर्भ में सीएम पर नकारात्मक रवैये के लिए निशाना साधा और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर लोगों को बांटने के आधार पर राजनीति करने का आरोप लगाया। पीडीए का नारा पीडीए का नारा लगाते हुए श्री यादव ने कहा, वे बांटकर राजनीति करना चाहते हैं, हम समाजवादी एकजुट होकर राजनीति करना चाहते हैं।

हम काम करके और लोगों की सेवा करके सरकार बनाना चाहते हैं, ये लोग (भाजपा) लोगों को धोखा देकर सरकार में बने रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा, कोई कपड़े पहनने से योगी नहीं बनता, कोई सोच और काम से योगी बनता है। पूरे देश के लोग सद्भावना पसंद करते हैं। नकारात्मकता किसी को स्वीकार नहीं है। भाजपा के लोग अंग्रेजों की विचारधारा के वंशज हैं। उन्हीं के रास्ते पर चलकर चुनाव जीतना चाहते हैं।

कानपुर की सीसामऊ, अंबेडकर नगर की कटेहरी, मुरादाबाद की कुंदरकी, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मिर्जापुर की मझवां, मैनपुरी जिले की करहल, अलीगढ़ की खैर, प्रयागराज की फूलपुर और मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। शीर्ष अदालत द्वारा यह आदेश दिए जाने पर कि किसी इमारत या मकान को सिर्फ इसलिए गिराना गैरकानूनी है क्योंकि उस पर किसी अपराधी का कब्जा है और वह किसी अपराध में शामिल है।

साथ ही, इस तरह के बुलडोजर न्याय पर अंकुश लगाने के लिए विस्तृत निर्देश भी जारी किए जाने पर सपा नेता ने कहा, जिनसे हम सरकार चलाने की उम्मीद करते हैं, वे बुलडोजर चला रहे थे। हम सर्वोच्च न्यायालय को बधाई देना चाहते हैं कि उसने बुलडोजर को हमेशा के लिए गैराज में बंद कर दिया है।

भाजपा पर उच्च शिक्षा में पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए सपा नेता ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी यूपी के किसी भी विश्वविद्यालय में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) समुदाय से 15 प्रतिशत से भी कम नियुक्तियां हुई हैं। उन्होंने कहा, हम पूछते हैं कि देश के विश्वविद्यालयों में भेदभाव क्यों है? पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) समुदाय के 15 फीसद लोग भी नौकरी पाने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें भेदभाव और अन्याय का सामना करना पड़ रहा है। संविधान के लिए यह एक लंबी लड़ाई है।

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