कंगना रनौत शायद इस बात को भूल गयी कि यह किसी फिल्मी सेट की शूटिंग नहीं है शुद्ध राजनीति का जीवंत अखाड़ा है। यहां बोली गयी हर बात के चार चार अर्थ निकाले जाते हैं। किसान आंदोलन पर उनके बयान से खुद भाजपा हिट विकेट जैसी स्थिति में है।
भाजपा ने सोमवार (26 अगस्त, 2024) को अपने सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा किसान आंदोलन पर की गई विवादास्पद टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया और घोषणा की कि वह पार्टी की ओर से इस तरह के बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
हाल ही में एक कार्यक्रम में, सुश्री रनौत ने आरोप लगाया था कि अब रद्द किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति की तैयारी है, और विरोध प्रदर्शन स्थल पर लाशें लटक रही थीं और बलात्कार हो रहे थे। भाजपा द्वारा जारी एक बयान में कहा गया: किसान आंदोलन के संदर्भ में भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा दिया गया बयान पार्टी की राय नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी कंगना रनौत द्वारा दिए गए बयान से असहमति व्यक्त करती है। पार्टी की ओर से, कंगना रनौत को पार्टी की नीतिगत मुद्दों पर बयान देने की न तो अनुमति है और न ही उन्हें ऐसा करने का अधिकार है। सुश्री रनौत को भविष्य में इस तरह का कोई भी बयान न देने का निर्देश दिया गया है।
भारतीय जनता पार्टी ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ तथा सामाजिक समरसता के सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है। भाजपा की ओर से यह कड़ी फटकार विपक्ष और किसान समूहों की ओर से उनकी टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया तथा हरियाणा में विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में आई है।
भाजपा द्वारा रनौत को फटकार लगाए जाने के बावजूद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उनकी टिप्पणी भाजपा की किसान विरोधी मानसिकता को दर्शाती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने रनौत की आलोचना की।
एक्स पर एक पोस्ट में श्री गांधी ने कहा, भाजपा सांसद द्वारा 378 दिनों के मैराथन संघर्ष के दौरान अपने 700 साथियों की कुर्बानी देने वाले किसानों को बलात्कारी तथा विदेशी ताकतों का प्रतिनिधि कहना भाजपा की किसान विरोधी नीति तथा इरादों का एक और सबूत है।
उन्होंने कहा, ये शर्मनाक किसान विरोधी बयान पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब समेत पूरे देश के किसानों का घोर अपमान है, जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
लगभग 400 किसान संगठनों के छत्र संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह बेहद दर्दनाक है, लेकिन आश्चर्यजनक नहीं है कि सुश्री रनौत ने भारतीय किसानों को हत्यारे, बलात्कारी, साजिशकर्ता और राष्ट्र-विरोधी कहने का चरम कदम उठाया है।
एसकेएम ने एक बयान में कहा, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि यह सांसद इस तरह की बातें कर रही हैं, क्योंकि दिल्ली की सीमाओं पर एसकेएम के नेतृत्व में ऐतिहासिक कॉरपोरेट विरोधी किसान आंदोलन का अपमान, बदनामी और बदनामी करना भाजपा की लंबे समय से चली आ रही नीति रही है।
इसमें कहा गया है कि राजधानी शहर के आसपास किसानों के संघर्ष की पूरी अवधि के दौरान किसान आंदोलन के कारण हुई किसी भी हिंसा में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई, लेकिन 736 किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिनमें से पांच लखीमपुर खीरी में मारे गए। एसकेएम ने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अपनी पार्टी के एक सांसद द्वारा की गई निंदनीय और असत्य टिप्पणियों के लिए भारत के किसानों से माफ़ी मांगें। प्रधानमंत्री को भारत के अन्नदाताओं के साथ खड़ा होना चाहिए और अपनी पार्टी और उसके सदस्यों को देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने वालों के साथ दुर्व्यवहार करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
इसने कहा, यह न केवल प्रधानमंत्री का संवैधानिक कर्तव्य है, बल्कि भारत के लोग उनसे इससे कम की उम्मीद नहीं करते हैं। वैसे इसके दो कारण हो सकते हैं। पहला तो कंगना को भाजपा के आईटी सेल से पहले जो मदद मिलती रही थी वह अब भी बतौर सांसद उसी समर्थन की उम्मीद में बड़बोलापन दिखा गयी। वह भूल गयी कि वह अब भाजपा सांसद है। दूसरा यह कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से स्मृति ईरानी को विस्मृत कर दिये जाने के बाद इस खाली स्थान पर कंगना की नजर है और जल्दी से यहां पहुंचने के लिए फिल्म अभिनेत्री ने यह बयान दे दिया। दोनों ही परिस्थितियां भाजपा को असहज स्थिति में डालने वाली रही। कंगना को राजनीति का वह अनुभव नहीं है कि कब, कहां और कितना बोलना है। वैसे इस किस्म के समर्थकों को आगे बढ़ाने में भाजपा का ही योगदान रहा है। ऐसे में अगर गाड़ी पटरी से उतरकर गड्ढे में जा गिरी तो इसमें सिर्फ कंगना का दोष नहीं है।