वायनाड भूस्खलन का नुकसान लगातार बढ़ता ही जा रहा
राष्ट्रीय खबर
तिरुअनंतपुरमः मंगलवार की सुबह मेप्पाडी, मुंडक्कई टाउन और चूरल माला में बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ, जिसमें कम से कम 143 लोगों की मौत हो गई, जिससे यह राज्य में आई सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा बन गई। विभिन्न अस्पतालों में 125 से अधिक लोगों का इलाज चल रहा है।
राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भूस्खलन के कारण 96 लोग लापता हैं। राजस्व मंत्री के राजन ने कहा कि अब तक कम से कम 481 लोगों को बचाया गया है। वैसे राहत से जुड़े लोगों का मानना है कि मृतकों की संख्या को अभी अंतिम नहीं माना जा सकता है क्योंकि कई इलाकों तक बचाव दल नहीं पहुंच पाया है।
मिली जानकारी के मुताबिक पहला भूस्खलन भारी बारिश के दौरान रात करीब 1 बजे मुंडक्कई टाउन में हुआ। जब बचाव अभियान चल रहा था, तब चूरलमाला स्कूल के पास सुबह करीब 4 बजे दूसरा भूस्खलन हुआ। कैंप के रूप में काम कर रहे स्कूल और आसपास के घरों और दुकानों में पानी और कीचड़ भर गया।
एनडीआरएफ और सेना के जवानों की एक टीम आपदा के 13 घंटे बाद नदी पार कर मुंडक्कई पहुंची। मुंडक्कई चूरल माला से 3.5 किलोमीटर दूर है। फंसे हुए लोगों को जीप से नदी के किनारे लाया जाएगा और रस्सी के सहारे नदी पार कराई जाएगी। सुरक्षित पहुंचने पर उन्हें मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया जाएगा।
122 टीए बटालियन ने मुंडक्कई गांव से 100 लोगों को ढूंढ निकाला और बचाव अभियान शुरू कर दिया। इस बीच, राज्य सरकार ने स्थानीय स्वशासन विभाग के प्रधान निदेशक, सीरम संबाशिवराव को वायनाड के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किया है, ताकि वे जिले में आपदा प्रबंधन और राहत गतिविधियों का समन्वय कर सकें।
वे स्थिति से निपटने में जिला कलेक्टर डॉ. मेघश्री और जिला प्रशासन की मदद करेंगे। वायनाड के उप-कलेक्टर और कोझिकोड के जिला कलेक्टर के रूप में कार्य करने के बाद, सीरम संबाशिवराव इस क्षेत्र की स्थलाकृति से परिचित हैं।