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मिठाई, टॉफी और टी शर्ट की फाइल किसने दबायी

विधायक सरयू राय अपने तमाम मामलों पर नजर रखते हैं


  • एसपी ने फाइल बंद करने को लिखा है

  • पहले ही अनेक दस्तावेज बाहर आ चुके है

  • हेमंत के राज में रघुवर को बचाने वाला कौन


राष्ट्रीय खबर

 

रांचीः जमशेदपुर के विधायक सरयू राय की याददाश्त कमजोर नहीं है। इसलिए फाइलों का मकड़जाल फैलाने के बाद भी अंततः रघुवर दास के राज की गड़बड़ियों को दबाने की साजिश कितनी कामयाब होगी, इस पर संदेह है।

दरअसल कई मामलों पर शिकायत करने के बाद राज्य में मंत्री रहते हुए ही श्री राय ने रघुवर दास के आगे हथियार डालने से इंकार कर दिया था। बाद का राजनीतिक परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिए दुखदायी रहा, इसे अब भाजपा के लोग भी स्वीकार करते हैं।

अब नये सिरे से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में इन फाइलों को दबाने की साजिश का संकेत धीरे धीरे सार्वजनिक होने के बाद गड़े हुए मुर्दे उखाड़े जाएंगे, यह लगभग तय है। वैसे विभाग के जानकार सत्ता के शीर्ष स्तर पर ऐसे मामलों की अनदेखी क्यों होती है, इसे लेकर आश्चर्यचकित है।

उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने पहले ही विभागीय सचिव को पत्र लिखकर तत्कालीन नोडल अधिकारी रतन भूषण श्रीवास्तव के खिलाफ जारी जांच को बंद करने की अनुमति मांगी गयी थी। इसमें तमाम आरोपों पर सिर्फ उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की भी बात कही गयी है।

इतने चर्चित मामले का ऐसा पटाक्षेप करने की कोशिश होगी, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। यह स्थिति तब है जबकि विपक्ष में रहते हुए खुद हेमंत सोरेन ने भी यह मामला उठाया था।

दूसरी तरफ विधायक सरयू राय तो तब से अब तक इन मुद्दों  को लेकर मोर्चा में तैनात रहे हैं।

उनके द्वारा अनधिकृत रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय के पास ही विशेष शाखा का एक कार्यालय चलाने का आरोप प्रमाणित होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

प्रारंभ में कई लोगों ने इस आरोप को गलत ठहराने की कोशिश की थी पर बाद में यह स्पष्ट हो गया कि वाकई ऐसा अनधिकृत कार्यालय संचालित किया जा रहा था। ऐसा किसके आदेश पर हुआ और उसकी मंशा क्या थी, यह समझदार सोच सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि जिन मामलों को रफा दफा करने की सिफारिश भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की तरफ से की गयी है, उसमें गायिका सुनिधि चौहान को हुए भुगतान का मामला भी शामिल है। निजी कार्यक्रमों के लिए सरकारी भुगतान पर ही असली सवाल उठ गये थे।

जांच से संबंधित संचिका को संचिकास्त करने की सिफारिश में लिखा गया है कि प्रारंभिक जांच में इन आरोपों की पुष्टि होती नजर नहीं आती है। ब्यूरो के अधिकारी ने ऐसी टिप्पणी लिखित तौर पर तब की है जबकि पहले ही इस मामले में ढेर सारे दस्तावेज सार्वजनिक हो चुके थे।

इसलिए हेमंत सोरेन के राज में पूर्व मुख्यमंत्री और उड़ीसा के वर्तमान राज्यपाल रघुवर दास को कौन अधिकारी बचाना चाहता है, यह आइने की तरह स्पष्ट है। अब लोगों को हैरत इस बात को लेकर है कि इन सारी बातों की जानकारी हेमंत सोरेन को है अथवा नहीं।

 

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