लोकसभा चुनाव के बाद अब विरोध सामने आया
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः लोकसभा चुनाव के खराब नतीजे उत्तर प्रदेश भाजपा में वर्ग विभाजन का संकेत दे रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व्यावहारिक तौर पर आमने-सामने हैं। इस किस्म की गुटबाजी का असली दारोमदार योगी आदित्यनाथ और अमित शाह के बीच का तनाव है, जो पहले से ही सर्वविदित था।
चुनाव में हार के बाद अब यह गुटबाजी खुलकर सामने आ गयी है। मौर्य खेमे ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब नतीजों के लिए योगी का कुशासन जिम्मेदार है।
योगी खेमे के जवाब में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से पार्टी में अशांति पैदा की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-अमित शाहरा लोकसभा नतीजों पर अंतिम चर्चा के लिए इस महीने के अंत में सभी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करने वाले हैं।
चुनाव की घोषणा के बाद से ही हिंदी पट्टी के इस सबसे बड़े राज्य कमल खेमा में असंतोष दिखाई दे रहा है। लेकिन पिछले रविवार को लखनऊ में लोकसभा चुनाव समीक्षा बैठक के बाद यह विवाद सामने आया। योगी ने जहां हार के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं के अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार ठहराया, वहीं मौर्य ने पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान बढ़ाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार से बड़ा संगठन है। मौर्य खेमे का आरोप है कि योगी शासन नौकरशाहीपूर्ण होने के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं-समर्थकों को प्रशासन से उचित सम्मान नहीं मिल रहा है।
कई हारे हुए सांसदों ने केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत की कि उनकी हार का एक कारण योगी प्रशासन की अत्यधिक सख्त नीतियां थीं। जिसे लोगों ने स्वीकार नहीं किया। नतीजा ये हुआ कि भाजपा के वोटों पर नकारात्मक असर पड़ा। योगी की विवादित बुलडोजर नीति भी सवालों के घेरे में है।
आपसी मतभेद स्पष्ट होने के बाद से लखनऊ की राजनीति में संदर्भ तेजी से बदले। मौर्य ने कल दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और अपनी नाराजगी जाहिर की। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने जरूरत पड़ने पर उपमुख्यमंत्री पद छोड़ने की पेशकश की है। राज्य के हालात पर चर्चा के लिए एक और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को बुलाया गया है। इस बीच उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने दिल्ली आकर प्रधानमंत्री से मुलाकात की। भाजपा के एक सूत्र ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में खराब नतीजे के कारण उन्होंने पद छोड़ने की इच्छा जताई है।
इस बीच योगी ने आज राज्य में होने वाले दस उपचुनावों को लेकर पार्टी के मंत्रियों और पदाधिकारियों के साथ बैठक की। हालांकि, बैठक में दोनों उपमुख्यमंत्री अनुपस्थित रहे। सूत्रों के मुताबिक, कम से कम 30 मंत्रियों को उपचुनाव की जिम्मेदारी दी गई है। योगी खेमे का दावा है कि उत्तर प्रदेश में खराब नतीजों के लिए योगी को ही जिम्मेदार ठहराने की रणनीति भविष्य में एक खास खेमे को फायदा पहुंचाने के मकसद से की जा रही है। ताकि योगी को मुख्यमंत्री पद से हटाना संभव हो सके। योगी खेमे के एक धड़े के मुताबिक आगामी लोकसभा चुनाव में योगी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार न हो सकें, इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से आंदोलन शुरू हो गया है। हालांकि, भाजपा के एक बड़े वर्ग को लगता है कि अगर मौजूदा परिदृश्य में योगी इस्तीफा देते हैं, तो 2027 के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाना भाजपा के लिए लगभग असंभव हो जाएगा।
ऐसे माहौल में सपा नेता अखिलेश यादव भाजपा में गुटबाजी भड़काने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। उन्होंने कहा कि भाजपा के अंदर इस सीट को लेकर घमासान मचा हुआ है। उत्तर प्रदेश प्रशासन ठंडे बस्ते में। जो भाजपा विपक्षी दल के साथ मिलकर बंटवारे की राजनीति करती है। इस बार भाजपा के घर में टूट है। उनके पास आम लोगों के बारे में सोचने का समय नहीं है।