चुनावी हार के बाद भाजपा सरकार के तेवर बदले
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद योगी सरकार ने अयोध्या के व्यापारियों के लिए अपनी नीति में बदलाव करते हुए व्यवसाय-प्रथम दृष्टिकोण से स्थानीय हितों को प्राथमिकता देने की नीति अपनाई है। मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने राम पथ परियोजना से प्रभावित स्थानीय व्यापारियों की सहायता के लिए एक बड़े नीतिगत बदलाव की घोषणा की है।
नई नीति के तहत विस्थापित दुकानदारों को ब्याज मुक्त, दीर्घकालिक किस्त योजनाओं के माध्यम से 500 नई दुकानें खरीदने की अनुमति दी गई है। भाजपा, जिसने अपने अभियान में राम मंदिर के पवित्रीकरण पर बहुत अधिक भरोसा किया था, वह फैजाबाद लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी (सपा) से हार गई, जो उसकी मंदिर राजनीति का केंद्र क्षेत्र है। फैजाबाद में भाजपा की हार का कारण स्थानीय दुकानदारों में असंतोष बताया जा रहा है।
पार्टी उत्तर प्रदेश में 80 में से केवल 33 सीटों पर ही कब्जा बनाए रखने में सफल रही, जिसमें सबसे आश्चर्यजनक हार अयोध्या में हुई, जहां स्थानीय व्यापारियों में गुस्से और नाराजगी के कारण उसके दो बार के सांसद लल्लू सिंह को समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने हरा दिया। बताया जा रहा है कि राम पथ निर्माण के लिए जिन लोगों की दुकानें तोड़ी गई थीं, उनमें से कई स्थानीय लोगों ने वोट के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की। कई व्यापारियों और निवासियों को लगता है कि उन्हें जो मुआवजा मिला, वह बहुत कम था।
अयोध्या धाम व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा कि राम पथ के चौड़ीकरण के लिए दुकानें तोड़ी गईं और व्यापारियों को मुआवजे के तौर पर महज 1-2 लाख रुपये दिए गए, जो दान जैसा लग रहा था। उन्होंने कहा, विरोध स्वरूप हमने दो दिन तक अपनी दुकानें बंद रखीं, लेकिन किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारी ने हमारी शिकायतों का समाधान नहीं किया। गुप्ता ने दावा किया कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने व्यापारियों को आश्वासन दिया था कि उन्हें तोड़ी गई दुकानों के बदले मुफ्त में नई दुकानें दी जाएंगी। हालांकि, चुनाव के बाद व्यापारियों को महज 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया और नई दुकानों के लिए 20 से 25 लाख रुपये देने को कहा गया।
अब नीति में बदलाव नई नीति के तहत विस्थापित दुकानदारों को ब्याज मुक्त, लंबी अवधि की किस्तों पर 500 नवनिर्मित दुकानों पर कब्जा लेने की अनुमति दी गई है। इससे पहले दुकानदारों को दुकानों पर कब्ज़ा करने के लिए अग्रिम भुगतान करना पड़ता था, जिसकी कीमत 20 लाख रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक होती थी।
इस अनिवार्यता के कारण कई व्यापारियों को बैंक ऋण लेने पर विचार करना पड़ा, जिससे उनके लिए नई दुकानें खरीदना लगभग असंभव हो गया। हालांकि, संशोधित नीति दुकानदारों को बिना किसी ब्याज के 20 साल की अवधि में अपनी दुकानों का भुगतान करने की अनुमति देती है। प्रभावित व्यापारियों ने इस निर्णय का स्वागत किया है।