आरोप जगन रेड्डी पर लगा तो चर्चा में आयी मोदी सरकार भी
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः आंध्रप्रदेश की बदली हुई राजनीति नरेंद्र मोदी सरकार को भी परेशानी में डालने वाली साबित होगी। आंध्र प्रदेश के मनोनीत मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट मांगी है कि क्या वाईएस जगन मोहन रेड्डी शासन द्वारा उनके और उनके बेटे एन लोकेश नायडू के फोन टैप करने के लिए पेगासूस का इस्तेमाल किया गया था।
उनके पुत्र लोकेश नायडू ने बताया कि उन्हें और नायडू को दो बार निशाना बनाया गया और उन्हें अपने मोबाइल फोन पर अलर्ट मिले। लोकेश ने कहा, मुझे दो बार निशाना बनाया गया है, एक बार मार्च 2023 में मेरी युवा गालम यात्रा के दौरान और एक बार इस अप्रैल में चुनाव प्रचार के दौरान। हम दोनों को ही एप्पल से अलर्ट मिले।
हमें संदेह है कि जगन सरकार ने हमारे फोन टैप करने के लिए पेगासूस का इस्तेमाल किया था। लोकेश के अनुसार, ऐसे संकेत मिले हैं कि पिछली सरकार ने पेगासस को बिना किसी अनुमति के खरीदा और राज्य के बाहर किसी स्थान से इसका संचालन किया। उन्होंने कहा, हम जानना चाहते हैं कि इसे कहां से खरीदा गया और किस स्थान से इसका संचालन किया गया और किन लोगों को निशाना बनाया गया। लोकेश ने कहा कि जब यह स्पष्ट हो गया कि वह हार रही है, तो जगन सरकार ने कुछ कार्यालयों में सबूत नष्ट कर दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस जांच से पता चलेगा कि क्या मिटाया गया है।
उनके आरोप तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) शासन के दौरान फोन टैपिंग मामले की पृष्ठभूमि में आए हैं, जहां तत्कालीन एसआईबी डीआईजी प्रभाकर राव के नेतृत्व में विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) के कुछ अधिकारियों ने कथित तौर पर फोन टैप किए और विपक्षी राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं पर इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पूर्व पुलिस उपायुक्त (टास्क फोर्स, हैदराबाद सिटी) पी राधाकिशन राव ने बीआरएस सरकार के सत्ता में रहने के दौरान तेलंगाना एसआईबी में कुछ अधिकारियों द्वारा फोन टैप करने में अपनी संलिप्तता कबूल की है। इससे मोदी सरकार की परेशानी इस वजह से बढ़ जाएगी क्योंकि मोदी सरकार ने इस बारे में संसद में शायद गलत जानकारी दी है।
सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में भी पेगासूस के बारे में जानकारी देने से इंकार कर दिया था। अब अगर आंध्रप्रदेश से पेगासूस के प्रयोग की पुष्टि हो जाती है तो यह भी साबित हो जाएगा कि केंद्र सरकार के पास भी यह जासूसी स्पाईवेयर है और तब यह तलाशा जाएगा कि यह किस सरकारी एजेंसी के पास है। सेना ने पहले ही इस बारे में साफ तौर पर इंकार कर दिया है। लिहाजा अब संदेह के केंद्र में इंटैलिजेंस ब्यूरो होगी, जिसकी कमान सीधे नरेंद्र मोदी के पास रही है।