बने हवा का झोंका ही निकला वरना बिना बात के दिल्ली में अचानक आंधी क्यों आ गयी। पूरी सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगा रखा था कि किसी तरह इस आदमी को कमसे कम चुनाव तक बाहर मत आने दो पर माई लॉर्ड्स को पता नहीं क्या सूझा कि अंतरिम जमानत दे दी। अदालत ने शर्त लगा दी कि सीएम वाला कोई काम नहीं करना है और दो जून को फिर से वापस जेल चले आना है। अरे भाई उसे सीएम से रोकने का मकसद नहीं था। असली मकसद तो चुनाव प्रचार करने से रोकना था, उस पर तो कोई रोक नहीं लगी। लगे हाथ मामले की सुनवाई में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का मामला भी चर्चा में आ गया।
जाहिर है कि यह अकेला फिर से मोदी और शाह की जोड़ी की टेंशन बढ़ा देगा। तिहाड़ जेल से बाहर आते ही चालू हो गया है और अब हनुमान मंदिर में पूजा कर मोदी जी का हिंदू कार्ड भी छीन रहा है। भला ऐसा कोई करता है क्या। ऊपर से भाई और बहन की जोड़ी ने पहले से ही नाक में दम कर रखा है। वैसे असली चिंता तो दिल्ली और पंजाब में है। अब तो पंजाब में मोदी जी का किला भी ढहने लगा है और पड़ोस हरियाणा में दूसरे किस्म की परेशानी बढ़ गयी है। नाव में हर रोज नया छेद हो रहा है और इतने सारे छेदों को कैसे भरा जाए।
इसी बात पर साल 1973 में बनी देवानंद की फिल्म शरीफ बदमाश का एक गीत याद आ रहा है। इस गीत को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था राहुल देव वर्मन ने। इसे किशोर कुमार ने कव्वाली के तौर पर गाया था। गीत के बोल इस तरह हैं।
आई सुहानी है सुबह बनारस जरूर
है श्या-इ-अवध खूबसूरत हुज़ूर
मगर हर शुबह से हर एक श्याम से
हंसी ये हवालात की रात है
ये चोरों की बारात की रात है
न खिड़की न झरोखा, मिलते ही मगर मौका
दे जाऊँगा मै धोखा सब देखते रह जायेंगे
बनके हवा का झोखा
मैं निकल जाऊंगा मैं निकल जाऊंगा
न खिड़की न झरोखा मिलते ही मगर मौका
दे जाऊँगा मै धोखा सब देखते रह जायेंगे
बनके हवा का झोखा
मैं निकल जाऊंगा मैं निकल जाऊंगा
दिवार से ज्यादा मजबूत है इरादा
उस पार वो कड़ी है जिससे नज़र लड़ी है
वो इंतज़ार में है बेचैन प्यार में है
ये जान भी गवां के मिलना है उससे जाके
ये गम न दिल सहेगा हाय!ये गम न दिल सहेगा
बस होके ही रहेगा ये मेल दो दिलों का
सब सोचते रह जाएंगे बनके हवा का झोखा
मैं निकल जाऊंगा मैं निकल जाऊंगा
रॉकी है नाम मेरा सबको सलाम मेरा
सब मुझको जानते है उस्ताद मानते है
बुज़दिल नहीं जो चुप के कर दूँ मैं चुपके चुपके
सब होशियार रहना फिर बाद में न कहना
दे दी है मैंने धमकी
हा हा! देदी है मैंने धमकी
बिजली गगन में चमकी
कुत्ता गली में भौका
सब ढूँढ़ते रह जायेंगे
बनके हवा का झोखा मैं निकल जाऊंगा…
मैं निकल जाऊंगा मैं निकल जाऊंगा मैं निकल जाऊंगा…
मै क्या हूँ मैं हूँ बादल मै क्या हूँ मैं हूँ काजल
उड़ जाऊं बन के खुशबू जल जउन बन के जादू
उड़ जाऊं बन के खुशबू जल जांऊ बन के जादू
सौ बार आके देखा सौ बार जाके देखा
क्या है यहाँ किधर है हर चीज की खबर है
मेरे पुराने यारों हाँ मेरे पुराने यारों
नादान पहरेदारों क्यों तूने मुझको रोका
तुम रोकते रह जाओगे
बनके हवा का झोखा मैं निकल जाऊंगा
मैं निकल जाऊंगा मैं निकल जाऊंगा
मैं निकल जाऊंगा
न खिड़की न झरोखा मिलते ही मगर मौका
दे जाऊँगा मै धोखा
सब देखते रह जायेंगे
बनके हवा का झोखा
मैं निकल जाऊंगा मैं निकल जाऊंगा
मैं निकल जाऊंगा मैं निकल जाऊंगा
अब चार सौ पार का नारा तो नहीं लग रहा पर उम्मीद है कि सरकार बन जाएगी। एक बार सरकार बन गयी तो सभी को एक एक कर देख लेंगे। लेकिन भविष्य के मुख्य न्यायाधीश का क्या करेंगे, जिन्होंने अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दे दी। चुनाव आयोग के साथ होने का भी कोई फायदा नहीं मिल रहा है। ऊपर से अपने खडगे जी है कि चुनाव आयोग पर हमला दर हमला किये जा रहे हैं। पता नहीं सरकार अगर वाकई बदल गयी तो इस चुनाव आयोग में तैनात लोगों की किस्मत में क्या लिखा होगा।
मजा लीजिए क्योंकि खेल एकतरफा नहीं है और मोदी जी के दांव इस बार उतना असर नहीं दिखा पा रहे हैं। लेकिन सवाल यह अब भी बना हुआ है कि आखिर मोदी जी ने अचानक राहुल पर हमला बोलते हुए अडाणी और अंबानी पर निशाना क्यों साधा।