इसरो की रिपोर्ट के तुरंत बाद मुनस्यारी में खतरा दिखा
राष्ट्रीय खबर
देहरादूनः इसरो ने जलवायु परिवर्तन के खतरों को देखते हुए हिमालय के ग्लेशियरों से बनी झीलों पर चेतावनी दी थी। अब यह जानकारी सामने आयी है कि उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मुनस्यारी-मिलम सड़क के किनारे जोहार घाटी की ओर एक ग्लेशियर फिसल गया, जिससे भारत-चीन सीमा और क्षेत्र के गांवों की महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रभावित हुई है।
यह भी बताया गया है कि यह घटना शनिवार, 20 अप्रैल की शाम को हुई होने का संदेह है, जिससे कई गांवों तक पहुंच बाधित हो गई है। अधिकारियों के अनुसार, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सड़क साफ करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं, लेकिन व्यापक बर्फबारी के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियां बनी हुई हैं।
क्या होता है ग्लेशियर पिघलने से
सूचना के मुताबिक प्रभावित गांवों में रिलकोट, समतु, टोला, गंगहर और रालम शामिल हैं। इस स्थिति का एक नतीजा यह है कि जो लोग सात चरण के आम चुनावों के पहले चरण में भाग लेने के लिए अपने गांवों की यात्रा कर चुके हैं, वे वापस लौटने में असमर्थ हैं। इस वजह से भी सीमा सड़क संगठन को सड़क पर से बर्फ का पहाड़ हटाने के लिए युद्धस्तर पर काम करना पड़ रहा है। वैसे भी यह इलाका चीन की सीमा के करीब होने की वजह से रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। खबर के अनुसार, चल रहे काम के बावजूद, अधिकारियों को पूर्ण कनेक्टिविटी बहाल करने में कुछ देरी की आशंका है।
विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर देते हैं कि ग्लेशियर का टूटना जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों की स्पष्ट याद दिलाता है। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के प्रति संवेदनशील हिमालय क्षेत्र को बढ़ते जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें तेजी से ग्लेशियर पिघलना भी शामिल है। एक मौसम विशेषज्ञ ने कहा, “पिछले महीने पिथौरागढ़ के ऊपरी इलाकों में कुछ बर्फबारी देखी गई थी। अब, तापमान बढ़ने के साथ, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिससे हिमस्खलन और कभी-कभी टूटना हो रहा है। बर्फबारी ने कई गांवों को प्रभावित किया है। इनमें बिल्जू, बुरफू, खिलांच, तोला, गंगहर, पांचू, मापा, मार्तोली, लास्पा, ल्वान, सुमतु, रिलकोट और रालम शामिल है। इससे इस पूरे इलाके में चुनाव पर भी नई परेशानी आ गयी है।