लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा सरकार की नई चाल
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने की घोषणा की। यह कदम 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने से पहले आया है। सीएए 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र का एक अभिन्न अंग था।
भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा यह अधिनियम लागू किया गया था। इस मुद्दे पर पूरे भारत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ है, कुछ दलों ने कानून को विभाजनकारी बताया है। सरकार ने इस तरह की कहानियों को खारिज कर दिया है और सीएए को देश का कानून कहा है जिसे लागू किया जाएगा।
पिछले महीने एक बिजनेस समिट में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए नियम लोकसभा चुनाव से पहले लागू किए जाएंगे। उन्होंने तभी कहा था, हमारे मुस्लिम भाइयों को गुमराह किया जा रहा है और उकसाया जा रहा है। सीएए केवल उन लोगों को नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए थे।
यह किसी की भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है। नियमों की अधिसूचना पड़ोसी देशों के प्रवासियों के लिए भारत में नागरिकता पाने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए तैयार है। सीएए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करता है। जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों ने अपने गृह देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था। सीएए इन पड़ोसी देशों के शरणार्थियों की मदद करेगा, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं।
गुवाहाटी से हमारे संवाददाता के मुताबिक असम तृणमूल कांग्रेस असम में कांग्रेस के नेतृत्व वाले 16-पक्षीय संयुक्त विपक्षी मंच का हिस्सा है, जो नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के आसन्न कार्यान्वयन का विरोध करता है। आगामी दिनों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। असम और त्रिपुरा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 53 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं।
असम के मुख्यमंत्री ने पार्टियों को सीएए पर बंद के खिलाफ चेतावनी दी। मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने दावा किया कि जहां संगठन सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने और हड़ताल का आह्वान करने के लिए स्वतंत्र हैं, वहीं राजनीतिक दलों को यह अधिकार नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा, नागरिकता संशोधन कानून को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने के बाद अब हमने प्रत्येक जिलों में इसकी कॉपी जलाने का फैसला किया है। इसे लेकर आगामी दिनों में राज्यभर में व्यापक स्तर पर अंहिसात्मक विरोध किया जाएगा। आसू सहित 30 अन्य संगठनों ने सीएए के विरोध में पहले से ही 12 घंटे के भूख हड़ताल का आह्वान किया है।
भट्टाचार्य ने कहा, सीएए असम सहित पूर्वोत्तर भारत के लिए अन्याय है और इसके विरोध में 2019 से लेकर अब तक असम और त्रिपुरा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 53 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं।