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नये विधेयक में कठोर सजा का प्रावधान

सरकारी परीक्षाओं में अनुचित साधनों के प्रयोग पर मिलेगा भारी दंड


  • लोकसभा में डॉ जितेंद्र सिंह ने पेश किया

  • भावी पीढ़ी के साथ अन्याय रोकना होगा

  • पांच सार्वजनिक परीक्षाओं का दायरा स्पष्ट


नयी दिल्ली: देश के सरकारी सेवाओं के लिए भर्ती के लिए होने वाली परीक्षाओं में अनुचित साधनों का प्रयोग किये जाने के विरुद्ध कठोर दंडात्मक प्रावधानों वाले सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 को आज लोकसभा में पेश किया गया। कार्मिक, जनशिकायत एवं पेंशन मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने सदन में यह विधेयक पेश करने के बाद कहा कि देश में एक नयी परिस्थिति ने जन्म लिया है।

पेपर लीक होने, प्रश्नपत्र बाहर हल किये जाने, नकल किये जाने आदि प्रकार की शिकायतें एकाएक बढ़ गयीं हैं। राजस्थान में 2018 से ऐसे 12 घोटाले हुए। इसका परिणाम परिश्रम करने वाले बच्चों को भुगतना पड़ता है। उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ होता है।

कई बच्चे भावुकता में अतिवादी कदम उठा लेते हैं। संगठित अपराध करने वाले दुष्ट लोगों को हमारी भावी पीढ़ी के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसलिए उनकी सुरक्षा जरूरी है। इस विधेयक का उद्देश्य पांच सार्वजनिक परीक्षाओं – संघ लोकसेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेल भर्ती बोर्ड, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी, बैंक कार्मिक चयन संस्थान तथा केन्द्र सरकार के विभागों एवं उनसे संबद्ध कार्यालयों में भर्ती की परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकना है।

केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित इन परीक्षाओं में प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी की अनधिकृत पहुंच या लीक होना, सार्वजनिक परीक्षा के दौरान उम्मीदवार की सहायता करना, कंप्यूटर नेटवर्क या संसाधनों के साथ छेड़छाड़, योग्यता सूची या रैंक को शॉर्टलिस्ट करने या अंतिम रूप देने के लिए दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़, और फर्जी परीक्षा आयोजित करना, फर्जी प्रवेश पत्र जारी करना या नकल करने या पैसा कमाने के लिए प्रस्ताव पत्र जारी करने के साथ साथ समय से पहले परीक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी का खुलासा करना और व्यवधान पैदा करने के लिए अनधिकृत लोगों को परीक्षा केंद्रों में प्रवेश करने पर रोक लगाता है। इन अपराधों पर तीन से पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

भाजपा की ओर से डॉ. सत्यपाल सिंह, द्रमुक के डी एम कथीर आनंद, वाईआरएस कांग्रेस की चिंता अनुराधा, शिवसेना के राहुल शेवाले, बीजू जनता दल के अच्युतानंद सामंत और बहुजन समाज पार्टी के मलूक नागर ने भी विधेयक का समर्थन किया। भाजपा के प्रताप चंद सारंगी ने कहा कि अनुचित साधन का परीक्षा में इस्तेमाल की कई घटनाएं ओडिशा में हुई है। उनका कहना था कि अनुचित साधनों पर रोक लगाना राष्ट्रीय हित में है और इसे रोकने के लिए सभी को काम करना चाहिए।

परीक्षा में अनुचित काम पर रोक लगाने के लिए जो प्रावधान बने उसमें सख्त सजा की व्यवस्था होनी चाहिए। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सजा मिलनी चाहिए और उन्हें बक्शा नहीं जाना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि जो लोग अपराध करते हैं उन्हें दण्डित किया जाना चाहिए और उन्हें अपराध की सजा अवश्य मिलनी चाहिए।

उनका कहना था की हर अपराध के साथ न्याय होना चाहिए, लेकिन न्याय के लिए जो भी प्रक्रिया अपनाई जाए उसमें ठोस सबूत का आधार होना बहुत जरूरी है। बिना ठोस सबूत के कोई न्याय नहीं होता। अपराधी गतिविधि को किसी भी हाल में रोकने का काम सबको करना है। आईयूएमएल के टी मोहम्मद बसीर ने कहा कि प्रश्न हमारे सिस्टम की साख का है और उसे बनाए रखने की जिम्मेदारी हमारी है। देश में 1000 से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं दूसरे कॉलेज और अन्य कई बड़े प्रतिष्ठित संस्थान है। इन सबकी साख बनी रहनी चाहिए है।

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