हथियार बंद गिरोहों के बारे में सेना ने दी है गंभीर चेतावनी
राष्ट्रीय खबर
गुवाहाटीः कुकी-प्रभुत्व वाले कांगपोकपी जिले और मैतेई-प्रभुत्व वाले इंफाल पश्चिम जिले की सीमा पर हुई। इसमें दो हथियारबंद मैतेई मारे गये हैं। हालांकि, मणिपुर पुलिस ने कहा कि दो सशस्त्र बदमाश मारे गए हैं। पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नखुजंग और बेथेल इलाकों में मैतेई और कुकी समूहों के बीच गोलीबारी दोपहर 2 बजे शुरू हुई और शाम 4.30 बजे तक चली।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि मृतक कथित तौर पर सशस्त्र मिलिशिया अरामबाई तेंगगोल और यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट, एक विद्रोही समूह के सदस्य हैं, जो पिछले दो से तीन दिनों से इलाके में डेरा डाले हुए थे। उन्होंने कहा, वे कांगपोकपी जिले के कुकी इलाके में चढ़ गए थे। इनमें अरामबाई तेंगगोल वह संगठन है, जिसने मैतेई विधायकों और सांसदों को एक शपथपत्र पर हस्ताक्षर कराया है। कांग्रेस का आरोप है कि इस आतंकी संगठन की बैठक में एक कांग्रेस और दो भाजपा विधायकों के साथ मार पीट भी की गयी है। जिस पत्र पर हस्ताक्षर कराया गया है, उस पर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के भी हस्ताक्षर हैं
इस कांगपोकपी की घटना के बारे में अधिकारी ने कहा, हम इंफाल पश्चिम पुलिस के माध्यम से उन्हें नीचे भेजने की कोशिश कर रहे थे और कुकियों को नियंत्रण में रखा। आज, जब सुरक्षा बलों ने उन्हें (इलाके से) बाहर निकालने की कोशिश की तो मैतेई हथियारबंद बदमाशों ने जवाबी कार्रवाई की। उसके बाद कुकियों ने अपना हमला शुरू किया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि कुकियों ने कथित तौर पर मृत व्यक्तियों से चार स्वचालित हथियार छीन लिए थे। वैसे दोनों तरफ मौजूद अत्याधुनिक हथियार पुलिस के बैरकों से ही लूटे गये हैं।
मई की शुरुआत से ही मणिपुर मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष की चपेट में है। संघर्ष शुरू होने के बाद से 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और लगभग 67,000 लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। नवंबर में, मैतेई सशस्त्र समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट के एक गुट ने हिंसा छोड़ने पर सहमति व्यक्त करते हुए केंद्र के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। इससे पहले नवंबर में, यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट गुट और सात अन्य समूहों पर केंद्र ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। सशस्त्र साधनों के माध्यम से मणिपुर को अलग करने की वकालत करने के कारण उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। समूहों को सामूहिक रूप से मैतेई चरमपंथी संगठन कहा जाता है।