आधुनिक तकनीक से हुआ पक्षियों की आबादी का आकलन
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कई दुर्लभ प्रजातियां नजर आयी
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पहली बार ऐसी तकनीक का प्रयोग
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दो दिनों तक बंद का यह प्रसिद्ध झील
राष्ट्रीय खबर
भुवनेश्वरः ओडिशा में चिल्का में 11 लाख से अधिक पक्षी आये है। इस बार की पक्षियों की गिनती में 10 साल बाद दिखी पलास फिश ईगल। एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील चिल्का झील में 2024 की वार्षिक पक्षी गणना के नतीजे गुरुवार को घोषित किए गए।
झील में आने वाले पक्षियों की संख्या 187 प्रजातियों से संबंधित 11,37,759 आंकी गई थी। गणना के अनुसार, पिछले वर्ष की गणना की तुलना में इस वर्ष 5,830 अधिक पक्षी झील में आए। गौरतलब है कि झील में एक पलास फिश ईगल देखा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा करीब 10 साल के अंतराल के बाद देखा गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नलबाना में 3,47,280 पक्षी देखे गए। उत्तरी पिनटेल्स की संख्या 2,18,650 थी, जबकि 1,56,636 गैडवॉल्स ने झील का दौरा किया। जनगणना के दौरान 1,40,322 यूरेशिया कबूतर देखे गए। रंभा, बालूगांव, टांगी, सातपाड़ा और चिल्का पर्वतमाला में फैले चिल्का लैगून में प्रवासी और घरेलू पक्षियों की गिनती के लिए कम से कम 21 टीमों को तैनात किया गया था, जिनमें से प्रत्येक में 5-6 पक्षी विज्ञानी शामिल थे।
डीएफओ अमलान नायक ने कहा कि चिलिका झील में 187 प्रजातियों के 11,37,759 पक्षी आए, जबकि नलबाना में 3,47,280 पक्षियों की गिनती की गई। चिल्का में आने वाले पक्षियों की संख्या में 5,830 की वृद्धि हुई है।
पीसीसीएफ सुसांता नंदा ने बताया कि इस साल गणना के दौरान पक्षियों की तीन और नई प्रजातियां देखी गईं। चूंकि पानी का स्तर कम है और सर्दियों की ठंड उतनी तीव्र नहीं थी, इसलिए हमें इस साल झील में आने वाले पक्षियों की संख्या में गिरावट की उम्मीद थी। लेकिन इनकी संख्या थोड़ी बढ़ी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि झील में एक पलास फिश ईगल देखा गया था। इस प्रजाति के पक्षी को लगभग 10 वर्षों के अंतराल के बाद देखा गया।
पहली बार, चिल्का वन्यजीव प्रभाग गुरुवार को झील में जल पक्षियों का वार्षिक सर्वेक्षण करते समय ई-बर्ड ऐप का उपयोग किया। ई-बर्ड ऐप पक्षियों की स्थिति, उनके रुझान, आवास और प्रजातियों के प्रकार का एक ऑनलाइन टूलकिट है।
गणनाकार अपने मोबाइल फोन में ई-बर्ड ऐप डाउनलोड करेंगे और हर घंटे गणना के दौरान लैगून में देखे गए पक्षियों की तस्वीरें और अन्य आवश्यक डेटा ऐप में अपलोड करेंगे। पक्षियों की गणना के अन्य तरीकों के अलावा पहली बार, हम बेहतर दस्तावेज़ीकरण के लिए पक्षियों के वार्षिक सर्वेक्षण के दौरान इस ऐप का उपयोग करेंगे, उन्होंने कहा।
बुधवार को बालूगांव में 100 से अधिक प्रगणकों को ई-बर्ड ऐप के उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा, चिल्का वन्यजीव प्रभाग के वन कर्मियों, पक्षी विज्ञानियों, सेवानिवृत्त वन अधिकारियों, शिक्षाविदों, पक्षी पर्यवेक्षकों और विभिन्न संगठनों के वन्यजीव कार्यकर्ताओं जैसे कई अन्य लोगों ने भाग लिया।
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक पी. सत्य सिल्वम, सेवानिवृत्त वरिष्ठ वन अधिकारी प्रशांत कुमार मिहसरा और प्राणीशास्त्र में सहायक प्रोफेसर स्वेता श्री पुरोहित ने गणनाकारों को प्रशिक्षित किया। अधिकारियों ने पक्षी सर्वेक्षण के सुचारू संचालन के लिए 21 टीमों का गठन किया है, जिसमें प्रत्येक टीम में एक विशेषज्ञ के साथ पांच व्यक्ति शामिल हैं। डीएफओ ने कहा, प्रत्येक टीम को पक्षियों को देखने के लिए दूरबीन जैसे कुछ उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।