इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को अपना प्रस्ताव देगी कांग्रेस
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि कांग्रेस पूरे देश में करीब 290 सीटों पर खुद लड़ेगी। सीटों पर कोई समझौता या मौका भी नहीं मिलेगा।अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस देशभर की 290 सीटों पर अपनी पूरी ताकत के साथ अकेले लड़ने को तैयार है। इसके अलावा करीब 100 से अधिक सीटों पर विपक्षी मंच इंडिया अपने सहयोगी दलों के समर्थन से लड़ना चाह रही है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 3 से 5 सीटें हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि अगर कांग्रेस को ऑल इंडिया तृणमूल और लेफ्ट का समर्थन मिल जाए तो वह ये सीटें जीत सकती है। अब यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि सहयोगी दल कांग्रेस को कितनी सीटें छोड़ने पर सहमत होते हैं।
जिन राज्यों में कांग्रेस अपनी अखिल भारतीय पार्टियों के साथ मिलकर लड़ना चाहती है, उन राज्यों के प्रदेश कांग्रेस नेताओं के साथ कांग्रेस की नेशनल अलायंस कमेटी ने पिछले हफ्ते दो दिनों तक बैठकें कीं। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे और राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर हर राज्य के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। इन दो दौर की बैठकों के आधार पर कांग्रेस नेतृत्व राज्य में बैठक करेगा और सीटों के समझौते पर चर्चा शुरू करेगा।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, झारखंड, जम्मू-कश्मीर में भारत की सहयोगी पार्टियों के समर्थन से 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की सोच रही है। इनमें से पश्चिम बंगाल की 3 से 5 सीटें हैं। तृणमूल नेतृत्व पहले ही कह चुका है कि वे वर्तमान में कांग्रेस के कब्जे वाली दो सीटें खाली करने को तैयार हैं।
कांग्रेस आम आदमी पार्टी के समर्थन से दिल्ली में 5 और पंजाब में 8-9 सीटों पर लड़ने को तैयार है। क्या अरविंद केजरीवाल इतनी सीटें छोड़ने को राजी होंगे, इस पर सवालिया निशान है। तमिलनाडु में 9-11 सीटें, उत्तर प्रदेश में 10-15 सीटें, बिहार में 9-10 सीटें, महाराष्ट्र में 24-26 सीटें, झारखंड में 9 सीटें, जम्मू-कश्मीर में 3 सीटों पर डीएमके का समर्थन चाहती है कांग्रेस साथी दल के सहयोग से लड़ना।
कांग्रेस नेता इस बात से सहमत हैं कि सीटों के समझौते पर चर्चा के बाद ही इन 100 निर्वाचन क्षेत्रों में गठबंधन की संख्या स्पष्ट होगी। वैसे कांग्रेस की इस सोच को अन्य सहयोगी समर्थन देंगे, इसकी बहुत कम उम्मीद है।
कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि इन 290 सीटों में से करीब 190 सीटों पर कांग्रेस से लड़ने के लिए पार्टी के पास पर्याप्त अच्छे उम्मीदवार और वित्तीय संसाधन हैं। इस सूची में मूल रूप से 10 राज्य हैं। इनमें कर्नाटक में 28, तेलंगाना में 17, गुजरात में 26, हरियाणा में 10, असम में 14, आंध्र में 25, छत्तीसगढ़ में 11, मध्य प्रदेश में 29, राजस्थान में 25, हिमाचल में 4 लोकसभा सीटें हैं।
इसके अलावा नॉर्थ-ईस्ट, केंद्र शासित प्रदेश, ओडिशा, गोवा, उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी। भारत के केरल में भले ही वामपंथी दल हों लेकिन कांग्रेस को वहां अकेले ही लड़ना होगा। इन 290 सीटों पर अपने दम पर और 100 सीटों पर सहयोगियों के समर्थन से चुनाव लड़ने के बाद, बाकी सीटों पर मुख्य रूप से क्षेत्रीय दल और बीजेपी या एनडीए के सहयोगी दल लड़ेंगे।