दिल का खिलौना दिख तो रहा है पर वह अपनी पहुंच से बाहर है। अब तो महामहिम ने हस्ताक्षर भी कर दिये हैं। इसलिए महिला आरक्षण अब कानून बन चुका है। इतनी गोपनीयता से जब इसे लाया गया था तो पता नहीं था कि अलीबाबा की झोली से क्या कुछ निकलने जा रहा है। अरे भाई इसमें इतना तामझाम करने की जरूरत क्या थी।
पहले भी ऐसी कोशिशें हुई थी तो भाजपा ने ही इसे पारित करने में अड़ंगा लगाया था, यह तो रिकार्ड की बात है। वरना मैं बिना सोचे समझे कुछ कहकर पार थोड़े ना पार पा सकता हूं। एंटायर पॉलिटिकल साइंस में मेरी डिग्री भी नहीं है और ना ही मैं आलू से सोना निकालने की बात कहता हूं।
खैर जब संसद में लाया गया तो लगा कि चलो अच्छा हुआ। यह काम काफी पहले ही होना था लेकिन देर से ही सही अभी हो रहा है तो कोई बात नहीं। जब गाड़ी स्टेशन से आगे बढ़ी तो पता चला कि यह एक और जुमला है। बताया है कि महिला आरक्षण अभी नहीं वर्ष 2029 से लागू होगा। अरे भाई अगर ऐसा ही करना था को संसद में पूर्व घोषणा कर इसे ले आते। चुपचाप तैयारी और अचानक संसद का सत्र बुलाने का फायदा क्या हुआ। आखिर इस संसद के संचालन में भी मैंगो मैन का ही पैसा खर्च होता है, जो आपके जीएसटी की मार से बिलबिला रहा है।
बाद में ही सही लेकिन बात समझ में आ गयी कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं की नाराजगी का जो पॉलिटिकल असर दिखा था, उससे मोदी जी ने सबक लिया है। इसलिए वह आधी आबादी को अपने पाले में करना चाहते हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि साहब को हर स्तर पर वोट मैनेज करने के लिए जी जान से परिश्रम करना पड़ रहा है।
लेकिन इतना करने के बाद भी उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। इसी बात पर एक पुरानी वह भी मेरे जन्म के पहले की एक गीत की याद आती है। वर्ष 1959 में बनी थी एक फिल्म। नाम था गूंज उठी शहनाई। इस गीत को लिखा था भरत व्यास ने और संगीत में ढाला था वसंत देसाई ने। इसे लता मंगेशकर ने अपना स्वर दिया था।
टूट गया, टूट गया
दिल का खिलौना हाय टूट गया
दिल का खिलौना हाय टूट गया
कोई लुटेरा आ के लूट गया हाय
कोई लुटेरा आ के लूट गया हाय
दिल का खिलौना हाय टूट गया
दिल का खिलौना हाय टूट गया
हुआ क्या क़ुसूर ऐसा सैंयाँ हमारा
हुआ क्या क़ुसूर ऐसा सैंयाँ हमारा
जाते हुये जो तूने हमें ना पुकारा
जाते हुये जो तूने हमें ना पुकारा
उल्फ़त का तार तोड़ा हमें मझधार छोड़ा
हम तो चले थे ले के तेरा ही सहारा
साथी हमारा हमसे छूट गया
दिल का खिलौना हाय टूट गया
कोई लुटेरा आ के लूट गया हाय
कोई लुटेरा आ के लूट गया हाय
दिल का खिलौना हाय टूट गया
दिल का खिलौना हाय टूट गया
आ आ आ आ आ
कैसी परदेसी तूने प्रीत लगाई
कैसी परदेसी तूने प्रीत लगाई
चैन भी खोया हमने नींद गँवाई
चैन भी खोया हमने नींद गँवाई
तेरा ऐतबार कर के हाय इंतज़ार कर के
ख़ुशियों के बदले ग़म की दुनिया बसाई
ज़ालिम ज़माना हमसे रूठ गया
दिल का खिलौना हाय टूट गया
कोई लुटेरा आ के लूट गया हाय
कोई लुटेरा आ के लूट गया हाय
दिल का खिलौना हाय टूट गया
दिल का खिलौना हाय टूट गया
ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसे सारे मशीन अब वाशिंग मशीन को चालू रखने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए परेशानी दिनोंदिन बढ़ रही है। ऊपर से सरकार के भोपूं बने टीवी चैनलों को भी इंडिया वालों ने औकात में ला दिया है। अब सोशल मीडिया का असर ऐसा है कि टीवी वाले भी पलटी मारने का मौका देखने लगे हैं।
विधानसभा चुनावों में क्या कुछ होगा, इसके संकेत तो पहले से ही मिलने लगे हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पहली बार चुनाव से पहले भाजपा पिछड़ती नजर आ रही है। नाराज लोग कह रहे हैं कि राजस्थान में भी ऐसा ही कुछ होने वाला है। ऑपोजिशन खेमा को तोड़ने की चालें भी बेकार साबित हो रही हैं। लगता है अपने मिसिर जी के ईडी में नहीं होने से वाशिंग मशीन अभियान थोड़ा धीमा पड़ गया है। ऊपर से महाराष्ट्र और यूपी से भी चुनावी बाढ़ जैसे हालात पैदा होने के सिग्नल मिलने लगे है।
दो को देखिये, पहले हेमंत सोरेन और दूसरे टीएमसी के अभिषेक बनर्जी। दोनों ने ईडी के समन को नकारने जैसा रवैया अपना रखा है। कोलकाता हाईकोर्ट ने जांच के नाम पर हो रही देरी से नाराज होकर ईडी के जांच अधिकारी को ही बदलने का आदेश दे दिया है। पता नहीं गाड़ी किस ओऱ जा रही है। इनके बीच अलग से सरदर्द को अरविंद केजरीवाल का है, जो मोदी जी की डिग्री को लेकर पीछे हटने को तैयार ही नहीं हैं।