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सीमा सुरक्षा पर इस बल का प्रमुख योगदान
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इसके तीन बटालिया दो साल में तैयार होंगे
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दो कमांड मुख्यालयों का संचालन भी प्रारंभ
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी: भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। यह सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। इस सीमा को तीन सेक्टरों में बांटा गया है यानी वेस्टर्न सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और ईस्टर्न सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।
भारत पश्चिमी सेक्टर में अक्साई चिन पर दावा करता है, लेकिन यह इलाका फिलहाल चीन के नियंत्रण में है। भारत के साथ 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया था। पूर्वी सेक्टर में चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है। चीन का कहना है कि यह दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है।
चीन तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के बीच मैकमोहन रेखा को भी मान्यता नहीं देता है।भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी और आईटीबीपी के अधिकारी ने कहा कि नॉर्थ-ईस्ट में भारत-चीन सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की 4 नई बटालियन को नॉर्थ-ईस्ट में तैनात किया जाएगा।
इन्हें 47 नई चौकियों पर भेजा जाएगा। सबसे ज्यादा अरुणाचल प्रदेश की 34 पोस्ट पर इनकी तैनाती होगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी में 7 नई बटालियन और बॉर्डर बेस बनाने की मंजूरी दी थी, जिससे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस फोर्स में 9400 कर्मियों की बढ़ोतरी हुई है। इन 7 में से 4 तैनाती के लिए तैयार हैं। बाकी 3 बटालियन को 2025 तक तैयार कर लिया जाएगा।
यह फैसला तब आया है, जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर दौलत बेग ओल्डी और चुशूल एरिया में मेजर जनरल लेवल पर चर्चा हुई है। ये इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि इस बीच, भारत को चिंता है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे।ये शिविर हिमालय सीमा पर लंबी दूरी की गश्त के दौरान आईटीबीपी को राशन, रसद और आवास प्रदान करेंगे। स्टेजिंग शिविर अस्थायी बीओपी के रूप में काम करते हैं। साथ ही मुश्किल समय में सीमा पर चौकी की दूरी कम करें। नए सैनिकों को देश की उत्तरी सीमा पर 47 नई सीमा चौकियों (बीओपी) और एक दर्जन स्टेजिंग शिविरों में तैनात किया जाएगा।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 34 पोस्ट अरुणाचल प्रदेश में हैं, जहां का इलाका काफी मुश्किल है। बाकी चौकियां पश्चिमी क्षेत्र में बनाई जाएंगी। वर्तमान में 180 बीओपी हैं। हर पोस्ट पर करीब 140 जवान तैनात हैं और हर 3 महीने में सेना का रोटेशन होता है।भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी और आईटीबीपी के अधिकारी ने कहा कि टीबीपी, भारतीय सेना मिलकर चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है। यह लाइन लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से सटी हुई है। भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा लद्दाख में 1,597 किलोमीटर, हिमाचल प्रदेश में 200 किलोमीटर, उत्तराखंड में 345 किलोमीटर, सिक्किम में 220 किलोमीटर और अरुणाचल प्रदेश में 1126 किलोमीटर है।
2023 में, आईटीबीपी ने चंडीगढ़ और गुवाहाटी में 2 कमांड मुख्यालयों का संचालन शुरू कर दिया है। चंडीगढ़ की पश्चिमी कमान लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चीन सीमा की सुरक्षा देख रही है। वहीं, पूर्वी कमान उत्तरी सीमा और उत्तर-पूर्वी सीमा का नियंत्रण देख रही है।