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कई अफसरों पर गिर सकती है गाज

  • सभी घोटालों में अफसरों की भूमिका

  • एक दूसरे को काटने में भी जुटे हैं

  • वरीयताक्रम में गला काट प्रतिस्पर्धा

राष्ट्रीय खबर

रांचीः ईडी के समन पर आगे क्या होगा, यह बड़ा सवाल झारखंड की ब्यूरोक्रेसी को परेशान कर रहा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में हेमंत सोरेन की याचिका खारिज होने के बाद मुख्यमंत्री के स्तर पर उच्च न्यायालय में कोई कार्रवाई होने की सूचना नहीं मिली है। दूसरी तरफ ईडी ने पूछताछ के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को फिर एक समन भेजा है। भाजपा खेमा इस बात को प्रचारित करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है कि इस बार की पूछताछ में हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया जा सकता है। वैसे कानून के जानकार मानते हैं कि हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किये जाने की कानूनी प्रक्रिया अगर पूरी की जाती है तो राज्य के कई अफसरों को भी इन मामलों में हिरासत में लेना पड़ेगा।

पहले पूजा सिंघल और उसके बाद राज्य के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन की गिरफ्तारी से यह साफ हो गया है कि राज्य के कई वरीय अफसर भी इन मामलों में लपेटे में आ सकते हैं। इसी वजह से कई गुटों में बंटी राज्य की ब्यूरोक्रेसी अपने भरोसे के लोगों के जरिए निरंतर अपडेट लेने में व्यस्त हैं। दरअसल भाजपा की तरफ से जो प्रचार किया जा रहा है, उसमें कुछ अफसरों की भी भूमिका होने का संदेह है। पहले माइनिंग लीज मामले में और खनन घोटाला में जब ईडी की जांच की गाड़ी आगे बढ़ी तो इसी मामले में पहले की रघुवर दास सरकार भी लपेटे में आ गयी। उसके बाद से इन मामलों की जांच की गाड़ी सुस्त पड़ गयी।

सत्ता के गलियारे में अच्छी पैठ रखने वाले प्रेम प्रकाश की गिरफ्तारी के बाद जो तथ्य सार्वजनिक हुए हैं, उसने भी कई अफसरों एवं कई पूर्व अफसरों की लपेटे में ला दिया है। इसलिए राज्य की अफसरशाही यह जानने में ज्यादा रूचि ले रही है कि इस बार ईडी की पूछताछ के दायरे में कुछ वर्तमान और कुछ पूर्व अधिकारी भी आयेंगे अथवा नहीं।

यह रोचक विषय भी जानकारी में आयी है कि दरअसल कौन ईडी की जाल में फंसेगा, इसका रिश्ता भविष्य की प्रोन्नति सूची से भी जुड़ा हुआ है। खास तौर पर किसी भी आईएएस अफसर की चाह होती है कि वह कमसे कम किसी राज्य के मुख्य सचिव बनकर ही रिटायर करें। वरना नियम के मुताबिक हर आईएएस को समयबद्ध प्रोन्नति के तहत मुख्य सचिव तक का रैंक को मिल ही जाता है। अब वरीयता सूची में आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे लोग भी भावी वरीयताक्रम में अपना नाम आगे ले जाने की कोशिशों में जी जान से जुटे हैं।

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