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कुकी विधायकों ने अपने लिए अलग प्रशासन मांगा

राष्ट्रीय खबर

नई दिल्ली: कुकी जनजाति के दस विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर में कुकी-जनजाति बहुल पहाड़ी क्षेत्रों के लिए एक अलग मुख्य सचिव और डीजीपी की मांग की है। भाजपा के सात विधायकों सहित 10 कुकी विधायकों ने बुधवार को पीएम मोदी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें अनुरोध किया गया कि राज्य के पांच पहाड़ी जिलों में कुशल प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी के समकक्ष पद स्थापित किए जाएं। जिन पांच जिलों के लिए उन्होंने यह मांग उठाई है, वे हैं चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, टेंग्नौपाल और फेरज़ॉल।

विधायकों ने ज्ञापन में कहा, कुकी-ज़ो जनजातियों से संबंधित आईएएस, एमसीएस, आईपीएस और एमपीएस अधिकारी काम करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं क्योंकि इंफाल घाटी भी हमारे लिए मौत की घाटी बन गई है। इससे पहले 10 विधायकों ने पीएम मोदी से मणिपुर के आदिवासी इलाकों के लिए अलग प्रशासन बनाने का आग्रह किया था।

चल रही जातीय हिंसा का हवाला देते हुए, अधिकांश कुकी विधायक, पार्टी संबद्धता की परवाह किए बिना, 21 अगस्त से शुरू होने वाले मणिपुर विधानसभा सत्र में भाग लेने की संभावना नहीं रखते हैं। कोकोमी,  एक मैतेई निकाय जो कुकियों के लिए अलग प्रशासनिक इकाइयों की मांग को सर्वसम्मति से खारिज करने के लिए एक प्रारंभिक विधानसभा सत्र के आह्वान का नेतृत्व कर रहा है, ने कहा कि यदि वे इसमें भाग लेना चुनते हैं तो यह आदिवासी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

कुकी और मैतेई समुदायों के बीच चल रही जातीय हिंसा में 180 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। मैतेई लोगों की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग को लेकर 3 मई को हिंसा भड़क उठी थी। वैसे हिंसा भड़कने के प्रारंभिक दौर में ही इंफाल घाटी से तमाम कुकी अधिकारी भी अपने आवास छोड़कर सपरिवार अपने गांव चले गये थे।

इसलिए उसी समय से यह स्पष्ट हो गया था कि जातिगत विभाजन की इस सोच ने पूरी ब्यूरोक्रेसी तक को अपनी चपेट में ले लिया है। उसके बाद से हालात लगातार बिगड़ते ही चले गये। इन कुकी विधायकों ने पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर अविश्वास व्यक्त किया है और यह खुला आरोप लगाया है कि राज्य में मैतेई समुदाय द्वारा कुकियों पर किये जाने वाले हमलों को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है। इसी वजह से भारतीय सेना और असम राइफल्स को भी जगह जगह पर काम करने से रोका जा रहा है।

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